रांची: पूर्व मंत्री और विधायक सरयू राय ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की।
साथ ही झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा 21 मार्च को दिये गये फैसला में अपील करने का सुझाव दिया ताकि सरकार द्वारा चार जनवरी 2021 को जारी की गई अधिसूचना का बचाव हो सके। इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री को स्मार पत्र सौंपा।
यह स्मार पत्र झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा संख्या डब्ल्यू पी(सी) संख्या. 2013/2020 में, 21 मई 2021 को दिये गए फैसला के विरूद्ध एलपीए दायर करने के संबंध में है।
उन्होंने पत्र के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराया कि झारखण्ड सरकार के अपर मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने झारखण्ड के लौह अयस्क खनन पट्टाधारियों द्वारा की गई अनियमितताओं के बारे में विधिवत सुनवाई के बाद मेसर्स शाह ब्रदर्स की करमपदा लौह अयस्क खदान का पट्टा रद्द करने की अनुशंसा की।
जिसके आधार पर झारखण्ड सरकार ने चार जनवरी 2019 को शाह ब्रदर्स का खनन पट्टा रद्द करने की अधिसूचना निर्गत किया।
शाह ब्रदर्स ने इस अधिसूचना को निरस्त करने के लिए झारखण्ड उच्च न्यायालय में रिट याचिका डब्ल्यू पी(सी) संख्या.177/2019 दायर किया।
इस पर उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने रिट याचिका में उठाये गये सभी बिन्दुओं पर गुण-दोष पर, सात फरवरी 2019 को फैसला दिया और रिट याचिका को खारिज कर दिया।
फैसले के अंत में न्यायाधीश ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता चाहे तो इस मामले में पुनरीक्षण प्राधिकार के पास जा सकता है।
याचिकाकर्ता शाह ब्रदर्स ने पुनरीक्षण प्राधिकार के समक्ष इस मामले को उठाया, जहां उनकी याचिका पुनः खारिज कर दी गई।
इसके अतिरिक्त याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ के आदेश के विरूद्ध झारखण्ड उच्च न्यायालय में भी अपील दाखिल किया।
यह अपील अभी भी विचाराधीन है। इस पर अंतरिम आदेश 20 जून 2019 को हुआ है, जिसमें अंतिम सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित करने की बात कही गई है।
आश्चर्य है कि जिस मामले में झारखण्ड उच्च न्यायालय की एकल खंडपीठ ने गुण-दोष (मेरिट) के आधार पर निर्णय दिया और जिसकी अपील उच्च न्यायालय की खंडपीठ में लंबित है। उसी मामले को पुनः नये रूप में एकल पीठ के सामने रिट याचिका के रूप में रखा गया।
पुनरीक्षण प्राधिकार के निर्णय को निरस्त करने और झारखण्ड सरकार के चार जनवरी 2019 के निर्णय को निरस्त करने के लिए उच्च न्यायालय की एकल पीठ के सामने नई रिट याचिका दायर कर दी गई, जिस पर उपर्युक्त विषयक फैसला आया है।
उपर्युक्त विवरण के आलोक में आपसे अनुरोध है कि झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा संख्या डब्ल्यू पी(सी) संख्या. 2013/2020 में राज्य सरकार की अधिसूचना (चार जनवरी 2019) को निरस्त करने के 21 मई 2021 को दिये गए आदेश के विरूद्ध खंडपीठ के समक्ष अपील दायर किया जाय, ताकि राज्य सरकार के चार जनवरी 2019 के निर्णय का बचाव किया जा सके।