नई दिल्ली: कांग्रेस ने बिहार विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन वह केवल 19 सीटें ही जीत सकी। यही वजह रही कि महागठबंधन 122 के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच सका। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने ये बात कही है।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि 70 सीटों पर उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के बजाय पार्टी कम संख्या में चुनाव लड़ सकती थी, खास कर ऐसी जगहों पर जहां उसकी उपस्थिति मजबूत थी। स्थानीय कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वे पार्टी के केंद्रीय नेताओं को सीधे भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने के बारे में आगाह करते रहे हैं।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के लिए ज्यादा सीटों पर लड़ने के बजाय छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करना ज्यादा बेहतर होता। आखिरकार छोटी पार्टियों — हम और वीआईपी ने राजग को जादुई आंकड़े तक पहुंचने में मदद की।
कांग्रेस, हालांकि, हार के लिए और वोट काटने के लिए एआईएमआईएम को जिम्मेदार ठहराती है।
पार्टी के नेता अधीर चौधरी ने कहा, वो ओवैसी हैं जो धर्मनिरपेक्ष दलों को हराने में भाजपा की मदद कर रहे हैं।
सीमांचल में, जहां महागठबंधन अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं सका, एआईएमआईएम ने पांच सीटें जीतीं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता – अब्दुल जलील मस्तान और तौसीफ आलम – एआईएमआईएम उम्मीदवारों से हार गए।
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री शकीलउजमान अंसारी ने कहा, हमने स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष अविनाश पांडे को सही उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया।
अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि कांग्रेस नेताओं ने पार्टी को मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर काम नहीं किया और कोविड के कारण भी पार्टी समय पर लोगों तक पहुंच नहीं बना सकी।
कांग्रेस अगर अपने पिछले प्रदर्शन 27 सीटें जीतने को दोहरा लेती तो महागठबंधन को सत्ता में पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकती थी। लेकिन महागठबंधन से आरएलएसपी, वीआईपी और हम के बाहर जाने का इतना बड़ा नुकसान होगा ये किसी ने नहीं सोचा था। जबकि हम और वीआईपी ने राजग की झोली में आठ सीटें डाली हैं।
विपक्षी महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आईं। राष्ट्रीय जनता दल ने 75 सीटें जीतीं, कांग्रेस ने 19 और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी-लेनिनवादी (लिबरेशन) ने 12 सीटें जीतीं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादीने दो-दो सीटें जीतीं।
शेष सीटों में से असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने पांच, जबकि बहुजन समाज पार्टी ने एक सीट जीती और एक निर्दलीय ने जीता।