धनबाद/बाेकाराे: प्यार हुआ, परवान चढ़ा, मंदिर में जाकर माला बदल लिए और हो गए एक दूजे के लिए। भगवान को साक्षी मानकर सिंदूर दान किया और बन गए पति पत्नी।
ऐसा ही बाेकाराे BOKARO की रहने वाली युवती से शादी रचाकर धनबाद DHANBAD सिंदरी के रहने वाले जमुदा राय महिला थाना पहुंच गया। पुलिस से कहा कि दाेनाें के परिजन राजी नहीं हैं।
पुलिस ने दाेनाें के परिजनाें काे थाना बुलाया है। जमुदा का कहना है कि वह सिंदरी में मेडिकल दुकान में काम करता है। न
निहाल आने-जाने के दाैरान सात साल पहले युवती से जान पहचान हुई थी।
दाेनाें के बीच प्यार हाे गया और वे शादी करना चाहते थे। लेकिन परिजन राजी नहीं हैं।
युवती एक एनजीओ में काम करती है। परिजनाें के नहीं मानने पर युवती भाग कर सिंदरी आ गई। जहां दाेनाें ने शादी रचा ली।
मंदिरों में भी शादी करने पर कई तरह के सर्टिफिकेट दिखाने पड़ेंगे
बता दें कि अब मंदिर में शादी आसान नहीं है। सामाजिक रूप से पति पत्नी का दरजा पाने के लिए अब मंदिरों में भी शादी करने पर कई तरह के सर्टिफिकेट दिखाने पड़ेंगे।
इसमें जन्म प्रमाण पत्र, पता और पहचान पत्र जरूरी है। लड़का हो या लड़की, हरेक के लिए यह अनिवार्य हो गया है।
साथ ही लड़की की ओर से अभिभावक की उपस्थिति भी आवश्यक कर दिया गया है।
अब नियमों की कड़ाई से लागू होने के बाद मंदिरों में शादी करनेवालों की संख्या तो घट गई है, लेकिन मंदिर प्रबंधक इसे समाज हित के अत्यावश्यक कदम मानते हैं।
क्यों जरूरी है प्रमाण पत्र
विभिन्न मंदिर कमेटियों का कहना है कि पिछले दिनों कई ऐसे केस आए जिसमें मंदिरों में शादी करने वाली लड़कियों के अभिभावकों ने लड़के के विरुद्ध जबरन शादी करने का आरोप लगाया।
साथ ही लड़की के बालिग नहीं होने से शादी को अवैध करार दिया गया। प्रेमियों को रोकने के लिए तो भगवान के पास कोई कानून नहीं है, लेकिन समाज के नियम से बंधे मंदिर प्रबंधन कमेटी को कानून का पालन तो करना ही पड़ता है।
ऐसे में मंदिर प्रबंधन पर जैसे तैसे शादी कराने का आरोप भी लगा। इससे बचने के लिए अब मंदिरों द्वारा सभी कानूनी प्रक्रिया का ख्याल रखा जाने लगा है।
कौन कौन सी सर्टिफिकेट है जरूरी
एज प्रूफ (जन्म प्रमाण पत्र)
शादी करने वाले लड़का, लकड़ी और गवाहों का दो दो पासपोर्ट साइज फोटो
सरकारी फोटो पहचान पत्र
एड्रेस प्रूफ।