नई दिल्ली: भारत और ब्रिटेन के बीच प्रत्यर्पण संधि है। देश से भागे कई भारतीयों का ब्रिटेन से अब तक प्रत्यर्पण भी हुआ है। लेकिन नीरव मोदी और विजय माल्या कुछ ऐसे आर्थिक भगोड़े हैं जो कानून की आड़ लेकर अभी भी प्रत्यर्पण से बचते आ रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बाग्ची ने बताया है कि नीरव मोदी और माल्या जैसे अपराधियों के प्रत्यर्पण में कहां दिक्कत आ रही है? विदेश मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत को समर्पित कर देने के मुद्दे पर भारत-यूके समिट के दौरान 4 मई को चर्चा की गई थी।
उसमें यह बात निकलकर आई है कि देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को लेकर उन्हें कुछ कानूनी अड़चने आ रही हैं। लेकिन वो इन मुद्दों के बारे में जानते हैं और वो भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत को प्रत्यर्पित करने में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
इधर मेहुल चौकसी के विषय पर विदेश मंत्रालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि इस हफ्ते मेहुल चौकसी को लेकर कोई अपडेट नहीं आई है। वो फिलहाल डोमिनकन ऑथोरिटी की कस्टडी में रहेगा।
विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि नीरव मोदी के विषय पर ‘यूके के राज्य सचिव ने 15 अप्रैल को आदेश जारी किया था कि नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पित कर दिया जाए।
अब नीरव ने इस आदेश के खिलाफ अपील करने की मांग की है। फिलहाल वो हिरासत में ही है। हम निश्चित तौर पर उनका प्रत्यर्पण करा कर उन्हें वापस भारत लाएंगे।
यहां आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले ब्रिटिश की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने कहा था कि करीब 13,500 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी करने वाले नीरव के प्रत्यर्पण आदेश पर इस साल फरवरी में ही हस्ताक्षर कर दिए गए थे।
इसी तरह से माल्या के प्रत्यर्पण को भी 2019 में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन दोनों ही भगोड़े कानूनी सुविधाओं का फायदा उठाकर ब्रिटेन में डेरा जमाए रखने में सफल हो गए हैं।
रईस भगोड़े दूसरे मुल्क में जाकर महंगे वकीलों की मदद से खुद को प्रत्यर्पण से बचाने के लिए हर कानूनी दांवपेंच का इस्तेमाल करते हैं।
नीरव और माल्या के मुद्दे पर गौर करें तो दोनों ही वांछित आर्थिक अपराधियों ने भारत में जेलों की खराब हालत को भी अदालत में मुद्दा बनाया था।