नई दिल्ली: भारत में पिछले तीन दशकों से मौजूदा बुल मार्केट रैली को मिलाकर छह बार बुल मार्किट रैली देखने को मिली है।
मॉर्गन स्टेनली ने एक बुल मार्किट को परिभाषित किया है जहां सूचकांक (बीएसई सेंसेक्स) अपने गर्त से दोगुना हो जाता है।
मॉर्गन स्टेनली ने एक रिपोर्ट में कहा कि, अगर हम साल 2003-08 के बुल मार्केट को छोड़ दें, तो अन्य चार बुल मार्केट की औसत अवधि 72 सप्ताह रही है जबकि मौजूदा दौर 64 सप्ताह का है।
हमारे संभावित नए लाभ चक्र के दृष्टिकोण को देखते हुए, साल 2003-08 बुल मार्केट अवधि में चल रहे बुल मार्केट के लिए मौजूदा दौर टेम्प्लेट हो सकता है।
बुल मार्केट में रिटर्न का फैलाव होता है जिससे औसत रिटर्न कम सार्थक हो जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है, यह 106 प्रतिशत ऊपर है जबकि ऐतिहासिक औसत 284 प्रतिशत है। फिलहाल हमें 12 महीनों और आगे का इँतजार है, जिससे लाभ की गति धीमी हो सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 1.6 फीसदी का औसत साप्ताहिक रिटर्न अभी भी अन्य बुल मार्केट की तुलना में कम है।
मौजूदा बुल मार्केट में इक्विटी रिटर्न की स्पष्ट रूप से तेज गति कुछ भी अनोखी नहीं है। इसमें कहा गया है कि 3 फीसदी के इस साप्ताहिक रिटर्न की अस्थिरता इतिहास से अलग नहीं है।
पिछले पांच बुल बाजारों में से प्रत्येक में भारत के बेहतर प्रदर्शन के साथ इस बुल बाजार के लिए औसत आउटपरफॉर्मेंस 52 प्रतिशत बनाम 23 प्रतिशत है।
मॉर्गन स्टेनली ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि भारत आने वाले महीनों में ईएम से बेहतर प्रदर्शन करता रहेगा।
उन्होंने कहा कि उपभोक्ता स्टेपल अंडरपरफॉर्म कर रहे हैं, जैसा कि आमतौर पर होता है, जबकि मैटेरियल्स, इंडस्ट्रियल्स और कंज्यूमर डिस्क्रीशनरी (सभी साइक्लिकल) शीर्ष 3 प्रदर्शन करने वाले सेक्टर हैं।
मॉर्गन स्टेनली ने कहा, हम अभी भी इक्विटी जारी करने के चक्र के शुरूआती चरण में हैं और इस बुल मार्केट के समाप्त होने से पहले वे औसत मार्केट कैप के 3 से 5 गुना के बीच कहीं भी बढ़ सकते हैं।
लोकप्रिय धारणा के विपरीत, हमें लगता है कि इस बुल मार्केट में ट्रेडिंग गतिविधि ऊंचा नहीं है।