नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों में 12वीं के मूल्यांकन का तरीका एक जैसा रखने का निर्देश देने से इनकार किया है। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हर राज्य का शिक्षा बोर्ड स्वायत्त है। अपने हिसाब से निर्णय ले सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं के रिजल्ट के लिए अंतिम तिथि घोषित करने पर कहा कि यूजीसी से कहा जाएगा कि सभी राज्य बोर्ड को एक कट ऑफ डेट दें।
कोर्ट ने 12वीं की परीक्षा जुलाई में आयोजित करने जा रहे आंध्र प्रदेश सरकार से कहा कि परीक्षा न करवाना बेहतर है।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से परीक्षा को लेकर उचित स्कीम के बारे में कल यानी 25 जून तक कोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया।
जस्टिस खानविलकर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केरल सरकार से भी 25 जून तक 12वीं की परीक्षा को लेकर बताने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वकील महफूज नाजकी ने कहा कि राज्य बोर्ड की 12वीं और 11वीं की परीक्षा को कराने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि 12वीं की राज्य बोर्ड की परीक्षा रद्द नहीं की गई है।
उन्होंने कहा कि जुलाई के अंत में परीक्षा होगी। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप जुलाई के अंत में परीक्षा लेंगे तो ये काफी अनिश्चितता हो जाएगी। आप रिजल्ट कब जारी करेंगे।
दूसरे कोर्स में दाखिला के लिए आपके रिजल्ट का कोई इंतजार नहीं करेगा। तब नाजकी ने कहा कि हम कोशिश करेंगे की परीक्षा पहले हो।
कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से पूछा कि आपने कहा है कि एक कमरे में 15 से 18 छात्र होंगे। तो क्या आपने 34,634 कमरों के फार्मूले पर काम किया है। कमरों में हवा आने-जाने की व्यवस्था होनी चाहिए। किसी भी मौत का जिम्मा सरकार का होगा।
कोर्ट ने कहा कि मौत होने पर एक करोड़ रुपये का मुआवजा देना पड़ सकता है। तब नाजकी ने कहा कि हमारे पास कमरे हैं। तब कोर्ट ने इसके संबंध में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अन्य बोर्डों ने जमीनी हकीकत को देखते हुए सोच-समझकर फैसला लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डेल्टा वैरिएंट भी आ रहा है। इसे लेकर कोई असमंजस नहीं होना चाहिए। यह लोगों के स्वास्थ्य का सवाल है।
सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार से कहा कि आपके पास कोई ठोस प्लान होना चाहिए।