नई दिल्ली: सुरक्षा और संरक्षा भारतीय रेल की प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में एक है।
यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा के अतिरिक्त रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने कोविड-19 के दैरान भारतीय रेलवे के प्रयासों में वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर योगदान दिया है।
महामारी के दौरान आरपीएफ भारतीय रेलवे के प्रयासों में सबसे आगे रही जैसे पार्क किए गए रोलिंग स्टॉक की सुरक्षा की, जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया, सभी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का मार्गरक्षण किया, श्रमिक स्पेशल में 45 सामग्रियों तथा 34 मेडिकल सहायता सामग्रियों की डिलीवरी की।
आरपीएफ ने कोविड अनाथों की सुरक्षा के लिए एक विशेष योजना ‘पहुंच, सुरक्षा और पुनर्वास’ तैयार की है।
आरपीएफ ने स्टेशन/ट्रेनों पर संकट में घिरे या आसपास के कस्बों/गांवों/अस्पतालों में कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों की पहचान करने का अभियान शुरू किया है।
कर्मचारियों को कोविड-19 के फैलने के कारण प्रभावित बच्चों पर विशेष ध्यान देने के लिए संवेदी बनाया है।
आस-पास के क्षेत्रों के लोगों और स्टेशनों पर जाने वाले यात्रियों को संकट की स्थिति में बच्चों के लिए आस-पास उपलब्ध सेवाओं और सुविधाओं के बारे में संवेदनशील बनाया जा रहा है।
प्रत्येक बच्चे के लिए एक नोडल आरपीएफ कर्मी बच्चे को सुरक्षित करने के समय से उसके पुनर्वास तक जिम्मेदार होता है।
स्टेशनों पर कीमती जान बचाने के दौरान आरपीएफ जवानों द्वारा अपनी जान जोखिम में डालने की कई घटनाएं सामने आईं।
वर्ष 2018 से राष्ट्रपति द्वारा आरपीएफ जवानों को जान बचाने के लिए 9 जीवन रक्षा पदक और 01 वीरता पदक प्रदान किए गए हैं।
आरपीएफ में बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल करने से महिला सुरक्षा में सुधार के लिए भारतीय रेलवे के प्रयासों को बल मिला है।
आरपीएफ में 10568 रिक्तियों की भर्ती 2019 में पूरी हुई थी।
सीबीटी, पीईटी/पीएमटी, दस्तावेज सत्यापन, मेडिकल जांच और पुलिस सत्यापन के बाद भर्ती का काम पूरा हुआ।
भर्ती से पहले आरपीएफ में महिलाओं का प्रतिशत 3 प्रतिशत (2312), भर्ती के बाद यह 9 प्रतिशत (6242) था।
आरपीएफ केंद्रीय बल है, जिसकी रैंक में महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है।