नई दिल्ली: जम्मू हवाई अड्डे के टेक्निकल एरिया यानी एयरफोर्स स्टेशन पर रविवार की रात को हुए दो धमाकों में ड्रोन का ही इस्तेमाल किया गया है। देश में पहली बार हुए ‘ड्रोन अटैक’ की पुष्टि जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने की है।
सिंह ने कहा है कि इस हमले की साजिश सीमापार से रची गई लेकिन इसे अंजाम सीमा के अंदर से ही दिया गया। इसीलिए एयरफोर्स स्टेशन पर एनआईए और एनएसजी की टीम टेरर एंगल से जांच कर रही है।
यह भारत में अपनी तरह का पहला ड्रोन हमला है जिसका संभावित लक्ष्य परिसर में खड़े विमान थे। इसके बाद अम्बाला, पठानकोट और अवंतिपुरा एयरबेस को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है।
हालांकि अभी तक हुई जांच का विस्तृत खुलासा नहीं किया गया है लेकिन सूत्रों के मुताबिक जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से 04 बम गिराए गए, जिनमें से 02 में विस्फोट हुआ।
घटनास्थल से शेल भी बरामद हुए हैं। फोरेंसिक टीम को भी बम विस्फोट से संबंधित कई सुराग मिले हैं।
भारतीय वायुसेना के दो जवानों को ‘बेहद मामूली’ चोटें आई हैं और बिल्डिंग की छत में बड़ा सा छेद होने के अलावा कोई नुकसान नहीं हुआ है।
ड्रोन हमले के बावजूद जम्मू हवाईअड्डे पर उड़ान संचालन सामान्य है। हवाई अड्डे के अधिकारियों के अनुसार केवल दो उड़ानों जी-8 185 और एसजी 963 को परिचालन कारणों से रद्द किया गया है।
पश्चिमी एयर कमांडर एयर मार्शल वीआर चौधरी ने भी जम्मू एयरबेस का दौरा करके जमीनी स्थिति का जायजा लिया है। उन्हें इस घटना के बारे में भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने जानकारी दी है।
जम्मू का यह एयरफोर्स स्टेशन किसी भी लड़ाकू विमान का एयरबेस नहीं है लेकिन यहां एमआई-17 और परिवहन हेलीकॉप्टर हैं।
इस बेस में ड्रोन आधारित हमले की यह देश की पहली घटना है, जिसकी रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान में लंबे समय से आशंका जताई जा रही थी।
यह हमला भले ही मामूली तीव्रता का रहा हो लेकिन यह घटना ड्रोन अटैक शुरू करने की आधुनिक क्षमताओं को दर्शाती है।
हालांकि पाकिस्तान पहले से पंजाब और जम्मू-कश्मीर में आतंकी नेटवर्क को हथियारों और गोला-बारूद की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है लेकिन यह पहली बार है जब इस प्रणाली का इस्तेमाल किसी हमले को अंजाम देने के लिए किया गया है।
भारत में अपनी तरह के पहले हमले में वायु सेना स्टेशन पर ड्रोन से कम तीव्रता वाले बमों से हेलीकॉप्टर हैंगर के करीब विस्फोट किया गया। वायुसेना ने अपने ट्वीट में दो ’कम तीव्रता वाले विस्फोट’ की जानकारी दी है लेकिन ड्रोन के बारे में उल्लेख नहीं किया है।
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि विस्फोट का स्थान हवाई अड्डे की बाहरी परिधि की दीवार से बहुत आगे था। पहला धमाका रात 1 बजकर 37 मिनट पर और दूसरा धमाका ठीक 5 मिनट बाद 1 बजकर 42 मिनट पर हुआ।
प्रारंभिक इनपुट के अनुसार वायुसेना के एक गश्ती दल ने विस्फोटक को गिराते हुए देखा और क्षेत्र में पहुंचे। गश्ती दल के दो कर्मियों को मामूली चोटें आईं।
इसी के बाद बम निरोधक दस्ते, फोरेंसिक, भारतीय वायुसेना, पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की कई टीमों को मौके पर भेजा गया।
ऐसी जानकारी मिली है कि हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने चीन से ड्रोन खरीदे थे। इन ड्रोन के जरिए एक बार में 20 किलो तक के पेलोड ले जाए जा सकते थे और ये एक बार में 25 किलोमीटर दूर तक उड़ान भरने में सक्षम थे।
बताया जा रहा है कि अक्टूबर-नवम्बर, 2020 में इन्हें एक तय टारगेट पर आईईडी गिराने के लिए ट्रेन्ड किया गया था। भारत भी बड़ी संख्या में ड्रोन रोधी तकनीक हासिल करने की प्रक्रिया में है। नौसेना के लिए हाल ही में इजरायली ड्रोन रोधी प्रणाली ’स्मैश 2000 प्लस’ खरीदी गई है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने भी एक ड्रोन रोधी प्रणाली विकसित की है जिसे स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के समय लाल किले पर तैनात किया गया था।
सेना के एक पूर्व अधिकारी का कहना है कि हमारे युद्ध अध्ययन उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए बहुत सीमित हैं। हमने युद्ध के तकनीकी सहायता प्राप्त बदलते डोमेन को आसानी से अनदेखा कर दिया है।
हमें संबंधित तकनीकों का अध्ययन करने और उससे निपटने के उपायों के लिए एक सीओई की आवश्यकता है।
ऐसे ड्रोन की जांच के लिए हाई पावर सर्विलांस सिस्टम, लॉन्ग रेंज रडार पर काम करना चाहिए और अगर संभव हो तो एयरपोर्ट के पास ऐसे ड्रोन को उतारने के लिए इजरायली आयरन डोम जैसी प्रणाली का इस्तेमाल करें। यह हाई सिक्योरिटी एरिया में सेंध है, इसकी ठोस जांच की जरूरत है।