पाकुड़: ग्रामीण इलाकों की कौन कहे जिला मुख्यालय में भी अवैध तरीके से नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे हैं मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने के साथ ही इलाज के नाम पर उन्हें बदस्तूर लूटा जा रहा है।
जाहिर है कि यह गोरखधंधा बगैर विभागीय संरक्षण के चल ही नहीं सकता।
ताजा मामला है डीसी आवास से महज चंद फर्लांग की दूरी पर बगैर लाइसेंस के संचालित सेवा नर्सिंग होम का।
जिसका क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत निर्गत प्रोविजल सर्टिफिकेट गत मार्च महीने में सिविल सर्जन ने रद्द कर दिया था।बावजूद उक्त नर्सिंग होम बदस्तूर चल रहा था। जिसका खुलासा रविवार को हुई जांच से हुआ।
स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम में शामिल डाॅक्टर एडवर्ड केरकेट्टा, डाॅक्टर अमित कुमार एवं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅक्टर एहतेशामउद्दीन ने बताया कि पाकुड़ सेवा नर्सिंग होम का क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत निर्गत प्रोविजनल सर्टिफिकेट को सिविल सर्जन डाॅक्टर आर डी पासवान ने गत मार्च महीने में रद्द कर दिया गया था।
बावजूद इसके जारी निर्देशों का उलंघन करते हुए नर्सिंग होम का संचालन किया जा रहा था।
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि नर्सिंग होम में गंभीर बिमारियों का भी इलाज किया जाता था। जबकि जरूरी उपकरण हैं ही नहीं।
जांच करने पहुँची टीम ने भर्ती मरीजों से भी पूछताछ के दौरान कई ऐसे खुलासे किये गये हैं।
जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि पाकुड़ सेवा नर्सिंग होम इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा था।
जांच में शामिल डाॅक्टरों ने पूछने पर बताया सिविल सर्जन द्वारा की गई कार्रवाई के बावजूद न केवल नर्सिंग होम संचालित किया जा रहा था बल्कि कई नियमों की अनदेखी भी की जा रही थी।
उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंपी जाएगी। लग रहे आरोपों के मुताबिक गत मार्च माह में प्रोविजनल सर्टिफिकेट रद्द करने की कार्रवाई के बावजूद कुछ विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में नर्सिंग होम का संचालन कराया जा रहा था।