तेहरान: ईरान साल 2015 के परमाणु समझौते के पुनरुद्धार पर अंतहीन बातचीत जारी नहीं रखेगा, साथ ही उसने अमेरिका से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की विफल विरासत को छोड़ने का भी आग्रह किया। ये जानकारी ईरान के एक शीर्ष अधिकारी के हवाले से मिली है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने एक ट्वीट में यह टिप्पणी की।
खतीबजादेह ने कहा कि ईरान ने परमाणु समझौते के पुनरुद्धार के उद्देश्य से वियना वार्ता में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उसे संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के रूप में भी जाना जाता है, जिसे अमेरिका ने नष्ट करने की कोशिश की थी।
6 अप्रैल से, वाशिंगटन और तेहरान ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से छह दौर की अप्रत्यक्ष वार्ता कर चुके है।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने पिछले हफ्ते कहा था कि दोनों देशों के बीच अभी भी कई मुद्दों पर गंभीर मतभेद हैं। चाहे वह परमाणु कदम हों जो ईरान को उठाने की जरूरत है, या प्रतिबंधों से राहत जिसकी पेशकश अमेरिका से होनी है।
अमेरिकी सरकार मई 2018 में जेसीपीओए से हट गई थी और ईरान पर एकतरफा प्रतिबंध लगा दिए थे।
जवाब में, ईरान ने मई 2019 से अपनी जेसीपीओए प्रतिबद्धताओं के कुछ हिस्सों को धीरे धीरे निलंबित कर दिया था।