कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के कानून मंत्री मोलोय घटक ने राज्य सरकार के साथ मिलकर नारद मामले के हलफनामे के लिए सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में नए आवेदन दाखिल किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से कलकत्ता उच्च न्यायालय से चल रहे नारद मामले की जांच के संबंध में हलफनामे को स्वीकार करने के लिए कहने के बाद उनकी ओर से यह आवेदन दायर किए गए हैं।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 9 जून को ममता बनर्जी और मोलोय घटक के जवाब-शपथ पत्रों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा अदालत से आग्रह किया गया था कि हलफनामे को देरी के आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वे उनकी दलीलों के पूरा होने के बाद दायर किए गए थे। अब मामले की अगली सुनवाई 29 जून को होगी।
ममता बनर्जी और मोलोय घटक ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और दिनेश माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने दोनों को उच्च न्यायालय में एक नया आवेदन दायर करने की अनुमति प्रदान की।
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह मामले को स्थानांतरित करने की सीबीआई की याचिका पर फैसला करने से पहले मंत्रियों द्वारा दायर हलफनामों पर फैसला करे।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने यह अनुमान लगाते हुए मामले को किसी अन्य राज्य में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है कि बंगाल में नारद स्टिंग टेप मामले में शामिल हाई-प्रोफाइल नेता मामले को प्रभावित कर सकते हैं। पांच सदस्यीय पीठ 29 जून को मामले की सुनवाई करेगी।
सीबीआई ने ममता बनर्जी और मोलोय घटक को नारद मामले में पक्षकार बनाया था।
उसका दावा है कि उन्होंने कोलकाता में निजाम पैलेस कार्यालय का दौरा करके एजेंसी के संचालन और सीबीआई अदालत के फैसले को प्रभावित किया, जब तीन टीएमसी नेताओं को गिरफ्तार किया गया था।
नारद स्टिंग टेप मामले की जांच कर रही सीबीआई ने 17 मई को मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया था।