पटना: बिहार के दरभंगा स्टेशन के पार्सल में हुए विस्फोट मामले की जांच राष्ट्रीय जांच दल (एनआईए) ने पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले लिया है।
दो दिन पूर्व दरभंगा से दिल्ली लौटने के बाद इनकी एक टीम तेलंगाना आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) से मिले सबूतों के आधार पर आगे के मामलों को खंगालने में लग गई है।
इस विस्फोट के दस दिन बाद अब तक जिन तीन लोगों को पकड़ा गया, उनको रुपयों की फंडिंग पाकिस्तान से हो रही थी। इस बात के सबूत मिले हैं।
इसमें एक संदिग्ध को सिकंदराबाद और दो संदिग्धों को उत्तर प्रदेश के शामली से गिरफ्तार किया गया था।
बताया गया है कि एनआईए की टीम इन तीनों के बैंक खाते को खंगलाने में जुट गई है।
संदिग्धों के कितने बैंक अकाउंट्स हैं? उसमें कब और कहां से रुपये भेजे गए हैं? इसकी पूरी पड़ताल की जा रही है।
इसके अलावा इनके संपर्क को भी खंगाला जा रहा है।
कब इनकी किस से बातें हुईं? इनकी बातें सामान्य कॉल के जरिए होती थीं या इसके लिए इंटरनेट कॉल का इस्तेमाल किया जाता था? इन बिंदुओं पर काफी गहराई से जांच की जा रही है।
विस्फोट के वक्त सक्रिय नंबर का नेपाल के पास मिला टावर लोकेशन
सिकंदराबाद में पार्सल बुकिंग के दौरान जो मोबाइल नंबर संदिग्धों ने लिखवाया था तो पहले उसके बारे में कहा गया था कि वो नंबर गलत है। अब पता चल रहा है कि वह नंबर सक्रिय था।
जब उसके कॉल विवरण खंगाले गए तो पार्सल बुक कराने वाले मोबाइल नंबर पर कई बार बात किए जाने के सबूत मिले।
जब उस नंबर का टावर लोकेशन खंगाला गया तो 17 जून को विस्फोट के वक्त उसका लोकेशन दरभंगा स्टेशन मिला। ये नंबर अभी भी एक्टिव हैं और इसका अंतिम टावर लोकेशन नेपाल के पास सटे एक इलाके में मिला है।
रेलवे पुलिस की जांच के दौरान पार्सल विस्फोट में एक और अहम बात सामने आई।
कपड़े के जिस बंडल में धमाका हुआ था, उसके उपर रिसीवर के नाम में मो. सुफियान लिखा हुआ था।
जब बिहार से रेलवे पुलिस की टीम सिकंदराबाद गई थी, तब वहां पार्सल बुकिंग ऑफिस को खंगाला गया।
वहां बुक कराने वाले का नाम भी मो. सुफियान ही मिला। अब यह बात भी किसी गहरी साजिश की ओर ही इशारा कर रही है।