नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर भले ही सुस्त पड़ गई है, लेकिन डेल्टा प्लस वैरिएंट ने चिंता बढ़ा दी है। एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कोरोना के इस वैरिएंट को लेकर बड़ा बयान दिया है।
रणदीप गुलेरिया का कहना है कि अब तक ऐसा कोई डेटा नहीं मिला है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के चलते ज्यादा मौतें हुई हैं या इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
कोरोना वैक्सीन को चकमा देने की बात भी किसी डेटा से पुष्ट नहीं होती। डॉयरेक्टर गुलेरिया ने कहा कि यदि कोरोना से निपटने के लिए जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाए तो किसी भी नए उभरने वाले वैरिएंट से सेफ रहेंगे।
डॉ.गुलेरिया ने कहा कि इस बारे में अभी अध्ययन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ स्टडीज में ऐसा कहा गया कि यह ज्यादा प्रभावशाली हो सकता है, लेकिन इस पर और आंकड़ा जुटाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्टडी के आधार पर इस प्रयोग को लागू नहीं किया जा सकता।
गुलेरिया का यह बयान हाल ही में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की उस स्टडी के बाद आया है, जिसमें कहा था कि एस्ट्रेजेना और फाइजर के टीकों को मिक्स करके लगवाने पर ज्यादा इम्युनिटी बनती है।
भारत में डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और कर्नाटक समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डेल्टा प्लस वैरिएंट के केस मिले हैं।
देश भर में अब तक डेल्टा प्लस वैरिएंट के 55 से ज्यादा मामले मिल चुके हैं। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और केरल में इसके ज्यादा मरीज मिल रहे हैं। भारत में पहला केस 11 जून को मिला था। भारत समेत 12 देशों में इसके केस मिल चुके हैं।