बोस्टन: बीते शुक्रवार के सबसे बडे ‘रैन्समवेयर’ हमले में कम से कम 17 देशों में हजारों संगठनों को निशाना बनाया गया था।
ऐसा मुख्य तौर पर उन कम्पनियों के माध्यम से किया गया जो कई ग्राहकों के लिए आईटी अवसंरचना का दूरस्थ रूप से प्रबंधन करती हैं।
अभी तक के सबसे बड़े ‘रैन्समवेयर’ हमले का संकट जारी रहा। इसके रूस से संबद्ध एक संगठन से जुड़े होने की और जानकारी मिल रही है।
अपराधियों ने एक ऐसे उपकरण का उपयोग किया था, जो ‘मालवेयर’ (कम्प्यूटर वायरस) को विश्व स्तर पर फैलने से रोकने में मदद करता है।
इसका शिकार बनी अमेरिकी सॉफ्टवेयर कम्पनी ‘कासिया’ ने बताया कि उसकी सेवाएं पटरी पर लौट रही हैं।
कुख्यात ‘रेविल’ संगठन के चार जुलाई यानी स्वतंत्रता दिवस से पहले, सप्ताहांत में यह हमला करने से कई लोगों को मंगलवार को कार्यालय आने पर इसकी जानकारी मिली।
इस संगठन ने ‘मेमोरियल डे’ हमले के बाद मांस प्रसंस्करण कम्पनी ‘जेबीएस’ से 1.1 करोड़ अमरीकी डॉलर की जबरन वसूली की थी।
‘रेविल’ ने तथाकथित प्रबंधित सेवा प्रदाताओं से 50 लाख अमेरिकी डॉलर की मांग की, जो इस हमले में इसके प्रमुख लक्ष्य थे। जबकि उनसे संबद्ध पीड़ित ग्राहकों से उसने बहुत कम, केवल 45,000 अमेरिकी डॉलर मांगे।
वहीं, इसने रविवार देर रात अपनी ‘डार्क’ वेबसाइट पर घोषणा की कि अगर सभी प्रभावित उसे क्रिप्टो करेंसी में सात करोड़ अमेरिकी डॉलर देते हैं, तो वह एक सार्वभौमिक ‘डिक्रिप्टर’ उपलब्ध कराएगा, जिससे सभी प्रभावित मशीनें ठीक हो जाएंगी।
‘डार्क’ वेबसाइट उन्हें कहा जाता है, जो सामान्य रूप से अनुक्रमित नहीं हैं और केवल विशेष ‘वेब ब्राउज़र’ के माध्यम से उस तक पहुंचा जा सकता है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा था कि अगर क्रेमलिन के इसमें शामिल होने की बात सामने आई, तो अमेरिका इसका कड़ा जवाब देगा।
बाइडन ने कहा कि उन्होंने खुफिया तंत्र से गहराई से इस मामले की जांच करने को कहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने करीब एक महीने पहले ही जिनेवा में ‘रेविल’ और अन्य ‘रैन्समवेयर’ समूहों को पनाह ना देने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाया था।
बाइडन ने इन समूहों की जबरन वसूली को अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा बताया था।
पुतिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव से सोमवार को पूछा गया कि क्या रूस को हमले की जानकारी थी या उन्होंने इस पर गौर किया था? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि नहीं, लेकिन उन्होंने सुझाव दिया कि साइबर सुरक्षा मुद्दों पर अमेरिका-रूस परामर्श के दौरान चर्चा की जा सकती है।