कोलकाता: पश्चिम बंगाल में रानीगंज-आसनसोल बेल्ट में अवैध कोयला खनन से जुड़े तमाम लोगों पर शिकंजा कसने के लिए संघीय जांच एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं।
पिछले करीब चार दशकों से कोयले के अवैध संचालन का केंद्र बना यह इलाका इन दिनों सुर्खियों में है और केंद्रीय एजेंसी इस खनन साम्राज्य से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली खंगालने में जुटी हुई हैं।
अनूप मांझी उर्फ लाला और जोयडेब मोंडल जैसे कुछ नाम केंद्रीय एजेंसियों की सूची में फिर से शामिल हो गए हैं। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस क्षेत्र में अवैध रूप से कई बड़े माफिया शामिल हैं, जो क्षेत्र में ब्लैक डायमंड के अवैध खनन गिरोह में शामिल हैं।
सूत्रों का कहना है कि वे शीर्ष राजनीतिज्ञों, स्थानीय प्रशासन और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के अधिकारियों के साथ मिलकर इस गोरखधंधे में शामिल रहे हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के प्रवक्ता ने दिल्ली से आईएएनएस को बताया, हम मामले की जांच कर रहे हैं। हम और कुछ नहीं कह सकते।
यह पूछे जाने पर कि क्या एजेंसी ने लाला और जोयडेब मोंडल को पकड़ लिया है, इस पर अधिकारी ने कहा, अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
सीबीआई ने पिछले हफ्ते (28 नवंबर को) पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और पड़ोसी राज्य झारखंड के विभिन्न जिलों में 45 स्थानों पर छापे मारे थे। 22 अलग-अलग टीमों में बंटी सीबीआई की भ्रष्टाचार-रोधी शाखा ने रानीगंज-आसनसोल बेल्ट में कोयला-तस्करी के रैकेट के संबंध में छापे मारे थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, अवैध कोयला हैंडलिंग का पूरा सिंडिकेट संगठित तरीके से होता है। ईसीएल लीजहोल्ड क्षेत्र में अवैध कोयला खनन के संचालन को तीन अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, इस अवैध खनन से जुडे तमाम लोग विभिन्न भाग या पार्ट्स में शामिल होते हैं। सभी बड़े माफिया तीसरे भाग में शामिल होते हैं, क्योंकि मुख्य लाभ केवल वहीं होता है।
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि आसनसोल-रानीगंज क्षेत्र में लगभग 3,500 अवैध कोयला खदानों में कम से कम 35,000 लोग प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं, जबकि अन्य 40,000 को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है।
कार्य बल ज्यादातर झारखंड के पड़ोसी राज्यों से है। संगठित अवैध खनन सिंडिकेट से जुड़े कुल जनशक्ति का केवल पांच प्रतिशत स्थानीय है।
सूत्रों ने कहा, अवैध कोयला खनन का विस्तार सलानपुर से शुरू होता है और बांकुरा सीमा में गोरखंडी, आसनसोल उत्तर और दक्षिण, जेके नगर, बाराबनी, पांडेबेश्वर, कुनुश्तारिया, रानीगंज, उखरा, बललपुर जैसे क्षेत्रों में फैला है। 1973 में ईसीएल के राष्ट्रीयकरण के बाद 80 के दशक की शुरूआत में खनन शुरू हुआ था।
सूत्रों ने हालांकि शक्तिशाली माफिया के कारण उनका नाम नहीं लिया।
28 नवंबर को की गई छापेमारी कोयला तस्करी के सरगना कोलकाता व आसनसोल में रहने वाले अनूप मांझी उर्फ लाला और उसके करीबी व सहायकों के ठिकानों पर की गई थी।
अवैध कोयला खनन मामले में बंगाल के कोयला माफिया मांझी उर्फ लाला व उसके करीबियों के ठिकानों पर सीबीआई की ओर से कार्रवाई कई दिनों तक जारी रही।
सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधी शाखा की ओर से यह कार्रवाई की गई है। खबरों के मुताबिक, अनूप मांझी के आसनसोल, दुगार्पुर, रानीगंज व पुरुलिया स्थित कार्यालयों, घर और उनके करीबियों के यहां छापेमारी की गई।
सीबीआई के एक सूत्र ने 28 नवंबर को बताया था कि ईस्ट बंगाल फील्ड्स लिमिटेड के अधिकारियों और कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी छापेमारी की गई है।
सीबीआई के एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि कोयला माफियाओं के परिसरों सहित चार राज्यों के 45 स्थानों पर तलाशी ली गई है और अपराध से जुड़े तमाम अपराधियों की तलाश की जा रही है।