नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उच्च शिक्षा में आरक्षण की समय सीमा तय करने पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
याचिकाकर्ता डॉ सुभाष विजयरन का कहना था कि 2008 में शिक्षा में अन्य पिछड़ी जातियों को आरक्षण को मंजूरी देते समय सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि आरक्षण की 5 साल में समीक्षा होनी चाहिए।
तब जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि यह एक जज का सुझाव था, बेंच का साझा फैसला नहीं।
याचिका में कहा गया था आरक्षण में अधिक मेधावी उम्मीदवार की सीट कम मेधावी को दे दी जाती है। जो राष्ट्र की प्रगति को रोकता है।
अगर उम्मीदवार को खुली प्रतियोगिता करने में सक्षम बनाया जाता है, तो वह न केवल सशक्त होगा बल्कि देश भी प्रगति करेगा।
याचिका में अशोक कुमार ठाकुर मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि अधिकांश जजों का विचार था कि शिक्षा में आरक्षण जारी रखने की जरूरत की समीक्षा पांच साल के अंत में की जानी चाहिए लेकिन इस फैसले के 13 साल बाद भी ऐसी कोई समीक्षा नहीं की गई।