नई दिल्ली: भारत में कोविड की वर्तमान स्थिति, कोविड टीका और टीकाकरण के बारे में मिथकों को दूर करने की आवश्यकता और कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) की महत्ता को सुदृढ़ करने के विषय पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने यूनिसेफ के साथ साझेदारी में, उत्तर-पूर्वी राज्यों के मीडिया पेशेवरों और स्वास्थ्य संवाददाताओं के लिए एक क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया।
इस वर्कशॉप में उत्तर पूर्वी राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड, सिक्किम औऱ त्रिपुरा के मीडिया पेशेवरों और स्वास्थ्य संवाददाताओं ने वर्चुअली हिस्सा लिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने इस कार्यशाला को संबोधित किया जिसमें इन राज्यों के 130 से ज्यादा स्वास्थ्य पत्रकारों और डीडी न्यूज, ऑल इंडिया रेडियो, पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
अग्रवाल ने अपने उद्घाटन भाषण में कोविड-19 से सामूहिक लड़ाई में मीडिया प्रफेशनल्स के निरंतर प्रयासों की प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि मीडिया के लोग समाज को प्रमुख रूप से प्रभावित करते हैं इसलिए वह लोगों को कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करने और टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
उन्होंने माना कि मीडिया सोशल मीडिया मंचों पर बड़े स्तर पर साझा की जा रही फर्जी खबरों और मिथकों को दूर करके वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट को दूर करने में रचनात्मक भूमिका निभा रहा है।
भारत की कोविड-19 प्रबंधन रणनीति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि कोविड से लड़ाई में तीन प्रमुख कारक हैं यानी कोविड उपयुक्त व्यवहार का सामुदायिक स्वामित्व, साक्ष्य आधारित रिपोर्टिंग और कोविड व टीकाकरण पर मिथकों को दूर करना।
लव अग्रवाल ने उत्तर पूर्व भारत में मौजूदा कोविड-19 की स्थिति का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा कि भारत में 80 प्रतिशत मामले 90 जिलों में दर्ज किए जा रहे हैं और उन 90 जिलों में से 14 जिले उत्तर पूर्वी राज्यों से हैं।
उत्तर पूर्वी राज्यों से संबंधित विशेष चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार पूर्व सक्रिय, पूर्व तैयारी और क्रमिक दृष्टिकोण का पालन करके उत्तर पूर्वी राज्यों कीकोविड महामारी से लड़ाई में सहयोग कर रही है।
उन्होंने उत्तर पूर्वी राज्यों में सक्रिय केसेज और टीकाकरण की स्थिति पर भी विवरण साझा किए।
उन्होंने कोविड टीकाकरण से जुड़े डर, भ्रम और शक को दूर करके टीकाकरण के लिए वातावरण बनाने में मीडिया को महत्वपूर्ण हितधारक माना और कहा कि अब तक देश में 36.48 करोड़ से भी अधिक वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी हैं।
उन्होंने मीडिया के लोगों से सामुदायिक वॉरियर्स को रोल मॉडल के रूप में सराहकर एक जन आंदोलन बनाने का आग्रह किया।
वैक्सीन के प्रति हिचकिचाहट के विभिन्न कारणों के अलावा, जो स्थानीयहो सकते हैं या विभिन्न सामुदायिक समूहों के लिए भिन्न हो सकते हैं, कार्यशाला में प्रतिरक्षण के बाद प्रतिकूल घटना (एईएफआई), इसके प्रबंधन और एईएफआई की सूचना देने की सर्वोत्तम तरीके पर भी प्रकाश डाला।
इस वर्कशॉप में मीडिया के लोगों के विभिन्न प्रश्नों को भी संबोधित किया गया।