नई दिल्ली: एक परीक्षण के दौरान देश का सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस फेल हो गया। ओडिशा में ब्रह्मोस मिसाइल का यह परीक्षण किया गया था।
बताया जा रहा है कि इस मिसाइल की मारक क्षमता 450 किलोमीटर तक है।
इसी मारकक्षमता की जांच के दौरान सोमवार की सुबह ब्रह्मोस मिसाइल थोड़ी दूर जाने के बाद जमीन पर धाराशायी हो गया।
ब्रह्मोस मिसाइल का यह परीक्षण क्यों फेल हुआ और इसकी वजह क्या थी? अब इस बात की जांच डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस को-ऑपरेशन के वैज्ञानिकों की संयुक्त टीम कर रही है।
बता दें कि ब्रह्मोस एक बेहद ही भरोसेमंद मिसाइलों की श्रेणी में आता है और इसक चूकने की घटना काफी कम होती है।
शुरुआती जांच पड़ताल में यह पता चला है कि मिसाइल की संचालक शक्ति के साथ आई कुछ समस्याओं की वजह से ही यह परीक्षण फेल हो गया।
हालांकि, अभी पूरी जांच बाकी है। इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल 300 किलोमीटर से कम दूरी वाले टारगेट को भेदने के लिए किया जाता था। लेकिन अब इस बेहद ही खास मिसाइल का इस्तेमाल लंबी दूरी के निशाने को सुपरसोनिक गति के साथ भेदने के लिए किया जाता है।
ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल का नाम दो नदियों के नाम पर रखा गया है। भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी के नाम पर रखा गया है।
ब्रह्मोस मिसाइल एक दो चरणीय वाहन है जिसमें ठोस प्रोप्लेट बूस्टर तथा एक सरल प्रो प्लेट रेमजेम सिस्टम है।
ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून 2001 को आइटीआर चांदीपुर से ही किया गया था। इस प्रक्षेपास्त्र को पानी जहाज, हवाई जहाज, जमीन व मोबाइल लॉन्चर से छोड़ा जा सकता है।
इस मिसाइल को किसी भी दिशा में लक्ष्य की ओर मनचाहा तरीके से छोड़ा जा सकता है।