वॉशिंगटन: अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने चेतावनी दी है कि चीन अंतरिक्ष में दूर तक मार करने वाले खतरनाक हथियार विकसित कर रहा है।
चीन उन हथियारों पर विशेष रूप से काम कर रहा है, जो उसके और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में असमानता को कम कर सकते हैं। चीन के पास पहले से ही एंटी सैटेलाइट वेपन मौजूद है।
माना जा रहा है कि चीन का यह हथियार पृथ्वी की निचली कक्षा में ही सैटेलाइट्स को निशाना बना सकता है। नया हथियार और भी ऊंचाई तक हमला करने में सक्षम होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, चीन उन हथियारों पर बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, जो उपग्रहों को जाम और नष्ट करने की क्षमता रखते हैं।
इस तरह के हथियार अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को तत्काल खतरा पैदा कर सकते हैं।
ट्रंप प्रशासन के दौरान यूएस स्पेस फोर्स के गठन के बाद से चीन आक्रामक तरीके से अंतरिक्ष में मार करने वाले हथियारों को विकसित करने में जुट गया है।
पेंटागन के इंडो-पैसिफिक कमांड के शीर्ष खुफिया अधिकारी रियर एडमिरल माइकल स्टडमैन ने एक वेबिनार में कहा चीन के बनाए एंटी सैटेलाइट हथियार सैटेलाइट को जाम करने, उसे मार गिराने में सक्षम हैं।
उन्होंने बताया कि वे हमारी अंतरिक्ष क्षमता पर करीबी निगाह बनाए हुए हैं। वे हमसे बराबरी करना चाहते हैं और उनसे भी आगे निकलना चाहते हैं।
उन्होंने कहा अगर वे हमारे साथ किसी युद्ध में उलझते हैं, तो वे अपने उद्देश्यों को सुरक्षित करने में सक्षम होंगे।
अमेरिकी खुफिया समुदाय को अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (डीएनआई) के कार्यालय ने चीन की सैन्य प्रगति के बारे में चेतावनी दी गई थी।
इस चेतावनी में बताया गया था कि चीनी सेना, इंट्रीग्रेटेड स्पेस सर्विस उपग्रहों की टोह लेने और स्थिति का आंकलन करने, नेविगेशन और सैटेलाइट कम्युनिकेशन के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रही है।
चीनी सेना की स्पेस कमांड, अमेरिकी सेना के कम्युनिकेशन को ठप करने के लिए अपने हथियारों और कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम में भारी अपडेशन कर रही है।
डीएनआई ने जोर देकर कहा अंतरिक्ष हथियारों का विकास भविष्य में अंतरिक्ष में सैन्य प्रतिरोध का एक अभिन्न अंग होगा।
इसकी वार्षिक खतरा आंकलन रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन नई तरह की एंटी सैटेलाइट हथियार बना रहा है।
एंटी सैटेलाइट वेपन एक ऐसा हथियार है जो किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रहों को निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए बनाया जाता है।
आजतक किसी भी युद्ध में इस तरह के हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है। लेकिन, कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिए इस तरह की मिसाइल सिस्टम को जरुरी मानते हैं।
अभी तक दुनिया के चार देशों अमेरिका, रूस, चीन और भारत के पास ही यह क्षमता है।