नई दिल्ली: कोयला मंत्रालय, भारत सरकार ने आज कोल इंडिया लिमिटेड की झारखंड स्थित सहायक कंपनी, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड में “झरिया और रानीगंज मास्टर प्लान के लिए आगे का रास्ता” के उपर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
कार्यशाला का आयोजन झरिया (झारखंड) और रानीगंज (पश्चिम बंगाल) में प्रभावित परिवारों के पुनर्वास हेतु उन्हें सुरक्षित स्थानों पर जल्द से जल्द पहुंचाना के उद्देश्य से किया गया।
झारखंड के झरिया और पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोलफील्ड्स में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक दुर्घटनाओं से बचने के लिए और प्रभावित परिवारों केपुनर्वास हेतु उन्हेंसुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया।
भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) और ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल)-कोल इंडिया की दोनों सहायक कंपनियों की क्रमशः झरिया और रानीगंज में कोयले की सक्रिय खदानें हैं।
इस कार्यशाला में भारत सरकार के कोयला मंत्रालय (एमओसी) में अतिरिक्त सचिव, विनोद कुमार तिवारी, भारत सरकार के कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव, बी पी पति और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित हुए।
सचिव, एमओसी, विनोद कुमार तिवारी ने कहा कि झरिया और रानीगंज में कोयला बहुल इलाकों में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर सरकार बहुत गंभीर है।
उन्होंने कहा कि कंपनी की सर्वोच्च प्राथमिकता नई तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए झरिया में अग्निशमन होना चाहिए।
ईसीएल द्वारा सक्रिय सतही आग क्षेत्रों के आग को सक्रिय रूप से अग्निशमन किया गया थालेकिन झरिया में आग एक चुनौती बनी हुई है।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सीआईएल के तकनीकी निदेशक, विनय दयाल ने कहा कि झारखंड में आग के मुद्दे का समाधान करने के लिएसीआईएल प्रतिबद्ध है और पूर्व में इस दिशा में कई वैज्ञानिक अध्ययन किए जा चुके हैं।
झारखंड सरकार मेंखान सचिव, के श्रीनिवासन ने भी कोकिंग कोल सहित राज्य में खनिजों के महत्व पर बल दिया।
तकनीकी सत्र से पहले, सीसीएल के सीएमडी, पीएम प्रसाद जिन्हेंबीसीसीएल का अतिरिक्त प्रभार प्रदान किया गया, उन्होंने कार्यशाला में शामिल होने वाले गणमान्य व्यक्तियों और वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत किया।