नई दिल्ली: विपक्ष के भारी हंगामे के चलते संसद के मॉनसून सत्र का पहला सप्ताह बिना किसी कामकाज के बीत जाने के बाद अब सरकार पर बाकी तीन सप्ताह में कामकाज निपटाने का दबाव है।
सरकार सोमवार को दोनों सदनों में गतिरोध तोड़ने की कोशिश करेगी, हालांकि विपक्षी तेवरों को देखते हुए यह काम आसान नहीं दिख रहा है।
पेगासस जासूसी मामला सरकार के लिए सबसे ज्यादा दिक्कतें पैदा कर रहा है, क्योंकि विपक्ष इस पर जेपीसी और सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जज के नेतृत्व में जांच समिति गठित करने की मांग पड़ा हुआ है।
जबकि सरकार दोनों सदनों में बयान देकर साफ कर चुकी है कि नियम कानून से बाहर किसी तरह का फोन टैप नहीं किया जा रहा है।
इस मामले पर सबसे ज्यादा तीखे तेवर तृणमल कांग्रेस के हैं, जो सरकार के साथ फिलहाल किसी तरह का समझौता करते हुए नहीं दिख रही है।
चूंकि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का नाम भी इसमें आया है, इसलिए उसके तेवर भी तीखे हैं।
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने पहला सप्ताह विपक्ष को अपने मुद्दे उठाने के लिए दिया है और वह उम्मीद करती है कि दूसरे सप्ताह से वह सरकार के कामकाज में सहयोग करेगा।
सोमवार को दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सरकार विपक्ष से इस बारे में नए सिरे से बात कर सकती है।
अनौपचारिक तौर पर भी दोनों सदनों में भाजपा के रणनीतिकार विपक्ष से इस मुद्दे पर बात करेंगे।
इस सत्र में सरकार लगभग दो दर्जन विधेयकों को पारित कराने का एजेंडा लेकर आई है और बाकी बचे तीन सप्ताह में से पूरा कराना काफी मुश्किल है।
साथ ही विपक्ष की भी कुछ चर्चाएं उसे करानी होगी। सरकार की कोशिश है कि विपक्ष विधायी कामकाज के साथ अपनी चर्चाएं भी कराए ताकि सदन चल सके।
दोनों सदनों में जल्दी गतिरोध न टूटने की स्थिति में सरकार पर दबाव बढ़ता जाएगा और बाद में जब स्थिति सामान्य होगी तब उसे अतिरिक्त समय में भी काम करना पड़ सकता है।
गौरतलब है कि पिछले कई सत्रों में ऐसा ही हुआ है, जबकि विपक्ष के हंगामे में शुरुआत में काफी समय बर्बाद हो जाने के बाद दोनों सदनों में देर रात तक बैठकर कामकाज निपटाया गया है।
हालांकि कई दल और सांसद उसे उचित नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि ऐसे में न तो सार्थक चर्चा हो पाती है और न ही जनता तक संसद की बात पूरी तरह पहुंच पाती है।