नई दिल्ली: देश में सड़क हादसों में हर साल लगभग डेढ़ लाख लोग जान गंवा देते हैं। इनमें से करीब 60 हजार लोग दोपहिया चालक या उस पर सवारी के रूप में बैठने वाले होते हैं। क्या आपको पता है कि इनमें से हजारों लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने दुर्घटना के वक्त हेलमेट पहना हुआ था।
लेकिन, तब भी उनकी जान गई। इसका प्रमुख कारण है, दोपहिया चलाते या उस पर सवारी के रूप में बैठते वक्त गैर मानक या नकली हेलमेट पहनना।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस साल एक जून से भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के आईएसआई निशान (आईएसआई मार्क) वाले हेलमेट को जरूरी कर दिया है।
सड़क परिवहन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, अब गैर-आईएसआई मार्क वाले हेलमेट को बनाना और बिक्री करना गैर-कानूनी है।
बीआईएस कानून के अनुसार, गैर-आईएसआई हेलमेट का निर्माण, भंडारण, बिक्री या आयात करने पर एक साल तक की सजा या एक लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप एक मानक हेलमेट नहीं पहन रहे हैं, तो यह दुर्घटना की स्थिति में अधिक खतरनाक है।
इस तरह के हेलमेट दुर्घटना के बाद पैदा हुई ऊर्जा को ब्रेन में ट्रांसमिट कर देते हैं। यह आपके स्कल और अंडरलाइन ब्रेन को नुकसान पहुंचाता है। जबकि स्टेंडर्ड हेलमेट उस उर्जा को एब्जार्ब कर लेते हैं।
यही नहीं, गैर मानक हेलमेट यदि दुर्घटना के समय टूट गया तो टूटे हुए हिस्से से वास्तव में मस्तिष्क को अधिक चोट पहुंचा सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में सड़क हादसों में मारे गए कुल 56 हजार दोपहिया सवारों में से 43,600 लोग हेलमेट न पहनने के कारण मारे गए थे।
इस समय पुलिस सहित प्रवर्तन एजेंसियां सुस्त पड़ी हैं। वे न तो गैर मानक हेलमेट पहनने वाले को पकड़ रहे हैं और न ही गैर मानक हेलमेट बनाने वालों की फैक्ट्री में छापा पड़ रहा है।
उनका कहना है कि इस समय बाजार में 50 फीसदी से ज्यादा हेलमेटल गैर मानक श्रेणी के बिक रहे हैं। तभी तो भारत में करीब 78 फीसदी दोपहिया सवारियों की मौत का मुख्य कारण खराब गुणवत्ता वाला हेलमेट पहनना या इसे नहीं पहनना है।
आईएसआई मार्क वाले हेलमेट या उसके सामने लगने वाला ट्रांसपेरेट कवर होगा, उसे खूब जोर से पटक दें तो भी नहीं टूटेगा।
यही नहीं, उस हेलमेट पर आप चाहे ट्रक चढ़ा दें, वह नहीं टूटेगा। जबकि गैर आईएसआई मार्क वाला या नकली हेलमेट पर आप कस कर एक मुक्का मारें, वह टूट जाएगा।
यही नहीं, पटरी पर हेलमेट बेचने वाले अक्सर नकली हेलमेट बेचते हैं। उस पर आइएसआई का निशान भी रहेगा तो भी वह मानक हेलमेट नहीं होगा।
जबकि, जान पहचान की दुकान या स्थायी दुकान वाले आपको सही हेलमेट बेचेंगे। क्योंकि, उन्हें शिकायत का डर या पकड़े जाने का डर रहता है।