नई दिल्ली: इन दिनों कोरोना का डेल्टा वैरिएंट पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। विश्व के 100 से अधिक देशों में लोग इस वैरिएंट से प्रभावित हुए हैं।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस खतरनाक वैरिएंट से सबसे ज्यादा सुरक्षित कौन है? हाल ही में हुई एक स्टडी में इस सवाल का जवाब मिला है।
यह स्टडी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारतीय वायरोलॉजी संस्थान पुणे (एनआईवी) द्वारा की गई है।
इस स्टडी में दावा किया गया है कि ऐसे लोग जो कोरोना को मात दे चुके हैं और कोविशील्ड की दोनों डोज लगवा चुके हैं, उनके ऊपर कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का असर नहीं होगा।
तीन तरह के लोगों पर स्टडी
1. ऐसे लोग जिन्हें कोविशील्ड की दोनों डोज लग चुकी है।
2. कोरोना को मात दे चुके ऐसे लोग, जिन्हें कोविशील्ड की दोनों डोज लग चुकी है।
3. कोविड से उबर चुके वो लोग, जो कप्पा और डेल्टा वैरिएंट की चपेट में आए थे।
स्टडी के दौरान यह पाया गया कि कोरोना को मात दे चुके लोगों पर डेल्टा वैरिएंट निष्प्रभावी रहा।
वहीं कोविशील्ड की एक या दोनों डोज ले चुके लोगों पर तुलनात्मक रूप से इसका असर नजर आया।
वहीं आईसीएमआर की एक हालिया स्टडी के मुताबिक कोवैक्सीन कोरोना के ज्यादा खतरनाक स्वरूप डेल्टा प्लस वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा सक्षम है।
पिछले हफ्ते ही केंद्रीय विज्ञान और तकनीकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि डेल्टा प्लस वैरिएंट के करीब 70 केसेज आए हैं।
आईएनएसएसीओजी की लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान इन मामलों का पता चला है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ने भी पूरी दुनिया में तेजी से फैलते डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर चेतावनी दी है।
इसमें कहा गया है कि कोरोना के अन्य वैरिएंट्स की तुलना में यह वैरिएंट सबसे ज्यादा घातक है।