बोकारो: जिले के अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों के अप्रैल से जुलाई तक के लंबित मानदेय का भुगतान जल्द करने के लिए मानदेय का आंकड़ा पीएफएमएस पाेर्टल पर 10 अगस्त तक अपलोड करने का निर्देश जिला शिक्षा पदाधिकारी को दिया गया है।
निर्देश में पिछले वित्तीय वर्षों के लंबित मानदेय की गणना कर अलग से राज्य परियोजना कार्यालय को उपलब्ध कराए जाने को कहा गया है।
लंबित मानदेय जुलाई 2019 से मार्च 2020 एवं अप्रैल 2020 से मार्च 2021 का भुगतान राशि की उपलब्धता के अनुसार देय होगा।
राज्य परियोजना निदेशक के आदेश में यह भी कहा गया है कि नियमानुसार सही आंकड़ों को पीएफएमएस पोर्टल पर 10 अगस्त तक अपलोड किया जाएगा।
15 अगस्त को स्थायीकरण व वेतनमान का करो ऐलान वरना राज्यभर में आंदोलन होगा जोरदार
इधर झारखंड के लगभग 65 हजार पारा शिक्षकों ने राज्य के हेमंत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। लंबे समय से स्थायीकरण व वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलन रत रहे पारा शिक्षकों का धैर्य अब जवाब देने लगा है।
सरकार की वादाखिलाफी को लेकर राज्य भर के पारा शिक्षकों का आक्रोश कभी भी फूट पड़ सकता है।
इन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी ही नहीं भगत सिंह भी पारा शिक्षक बन सकते हैं। इसके बाद सारी जवाबदेही राज्य सरकार की होगी।
वादाखिलाफी पर ईंट से ईंट बजाने को पारा शिक्षक तैयार
पारा शिक्षकों ने कहा है कि 15 अगस्त को सीएम हेमंत सोरेन अगर स्थायीकरण व वेतनमान की घोषणा नहीं करते हैं तो अगले दिन 16 अगस्त से राज्य भर में उग्र आंदोलन होगा।
वादा करके सत्ता में आई सरकार और अब वादाखिलाफी पर ईंट से ईंट बजाने को पारा शिक्षक तैयार बैठे हैं।
16 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन, मुख्यमंत्री आवास घेराव से होगी शुरुआत
पारा शिक्षकों ने कहा है कि हेमंत सरकार 15 अगस्त को झंडोत्तोलन के बाद हम पारा शिक्षकों के लिए स्थायीकरण और वेतनमान की घोषणा नहीं करती है तो 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन आंदोलन मुख्यमंत्री आवास घेराव से ही शुरू हो, क्योंकि अब छोटे-मोटे कार्यक्रम करके अपना समय बर्बाद नहीं करना है।
ऐसे भी हम लोग बहुत समय गंवा चुके हैं, कार्यक्रम ऐसा हो जिससे सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
यदि इस बार भी सरकार नहीं मानती है तो राजधानी घुसने वाले चारों हाईवे को जाम कर दिया जाए। यानी राजधानी का चक्का जामकिया जायेगा।
हमें कल्याण कोष नहीं चाहिए
पारा शिक्षकों का कहना है कि हमें कल्याण कोष नहीं चाहिए सरकार कल्याण कोष का वादा करके नहीं आई है।
सरकार स्थायीकरण एवं वेतनमान का वादा करके आई है तो सरकार हमें स्थायी करते हुए वेतनमान दे।
अन्यथा इस बार हम असहयोग आंदोलन के साथ-साथ उग्र आंदोलन करने पर भी बाध्य हो जाएंगे। जरूरत पड़ी तो महात्मा गांधी के साथ साथ भगत सिंह भी पारा शिक्षक बनेंगे।