नई दिल्ली: पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर कठुआ में रणजीत सागर झील के ऊपर 02 अगस्त की रात को दुर्घटनाग्रस्त हुए भारतीय सेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर के मलबे का कुछ हिस्सा बरामद कर लिया गया है लेकिन दोनों पायलटों का अभी तक पता नहीं चला है।
हेलीकॉप्टर उड़ा रहे सेना की आर्मी एविएशन के पायलट जयंत जोशी के भाई ने दुर्घटना के बाद चल रहे सेना और नौसेना के रेस्क्यू ऑपरेशन पर सवाल उठाते हुए अपने माता-पिता की तरफ से भावुक अपील की है।
इस पर भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने खोज अभियान के बारे में पहली बार अधिकृत जानकारी दी है।
भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने खोज अभियान के बारे में पहली बार जानकारी दी
पायलट जयंत जोशी के भाई नील ने अपने निजी ट्विटर एकाउंट से 09 अगस्त को एक साथ चार ट्वीट किये।
उन्होंने ट्वीट में कहा, “मेरे भाई कैप्टन जयंत जोशी का हेलीकॉप्टर 02 अगस्त को पंजाब और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर रणजीत सागर बांध में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
करीब 1 हफ्ते बाद भी उनका पता नहीं चला है। काश मैं अपने माता-पिता की पीड़ा को समझा पाता।
मलबे को निकालने का अभियान घोंघे की गति से जारी है, जिसका कोई अंत नहीं है।
यदि पायलट मलबे के साथ पानी में हैं तो एक सप्ताह के बाद अवशेषों की स्थिति मेरे माता-पिता को सदमे में छोड़ देगी।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी मां ने सेना में 40 साल की सेवा की है। दूसरी पीढ़ी के अधिकारी के लिए भारतीय सेना की उदासीनता आश्चर्यजनक है।
हमने इस बिंदु पर सारी उम्मीद खो दी है। नौसेना और थल सेना का दिन-ब-दिन निरर्थक तलाशी अभियान हमारे माता-पिता के लिए यातना जैसा है, जिन्हें कोई भी समाचार सुनने के लिए प्रतिदिन प्रतीक्षा करनी पड़ती है।
वह चाहे जिस भी स्थिति में हो। मैं इस कठिन समय में अपने माता-पिता की देखभाल करने की कोशिश कर रहा हूं, मेरी ताकत भी टूट रही है। उसकी किसी भी खबर के लिए दोस्त और परिवार बेताब हैं।”
इसके जवाब में भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने खोज अभियान के बारे में पहली बार अधिकृत जानकारी देते हुए बताया गया कि सैन्य अधिकारी उस हेलीकॉप्टर की तलाश में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं जो 02 अगस्त को दो पायलटों के साथ दुर्घटनाग्रस्त होकर रणजीत सागर जलाशय में गिर गया था।
विशाल जलाशय 25 किमी. लंबा, 8 किमी. चौड़ा और 500 फीट से अधिक गहरा है।
भारतीय सेना के साथ समन्वय में भारतीय नौसेना 02 अधिकारियों, 04 जूनियर कमीशंड अधिकारियों और 24 अन्य रैंक के साथ ऑपरेशन रेस्क्यू चला रही है।
इसके अलावा भारतीय सेना विशेष बल गोताखोरों में 02 अधिकारी, 01 जूनियर कमीशंड अधिकारी और 24 अन्य रैंक के साथ के नौसेना को सहयोग कर रही है।”
पश्चिमी कमान ने कहा, “मल्टी बीम सोनार, साइड स्कैनर, दूर से संचालित वाहन और अंडरवाटर मैनिपुलेटर्स को चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और कोच्चि से लाकर ऑपरेशन में लगाया गया है।
खराब मौसम और बारिश के बावजूद तलाशी अभियान बेरोकटोक जारी है।
इसके अलावा सेना, नौसेना, भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, गैर सरकारी संगठनों, राज्य पुलिस, बांध प्राधिकरण और देश भर की निजी फर्मों के खास उपकरणों को भी लगाया गया है।
60mx60m के एक छोटे से क्षेत्र को स्थानीयकृत किया गया है और कोच्चि से विशेष सोनार इक्प्ट को भेजा जा रहा है ताकि खोज अभियान अंतिम चरण में प्रवेश कर सके।”
ऑपरेशन में आ रही दिक्कतों का उल्लेख करते हुए बताया गया है, “इस मौसम में पानी की कोलाइडल प्रकृति के कारण 50 मीटर से नीचे शून्य दृश्यता है, इसलिए गहरे पानी के नीचे का संचालन विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, जो सोनार और सेंसर की सटीकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
इसके बावजूद विशेषज्ञ और गोताखोर लगातार खोज अभियान चला रहे हैं। तलाशी अभियान को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।