गिरिडीह: हजारीबाग के पतरातू मोहल्ले में स्थित उज्जवला होम में चार महीने से रह रही एक महिला अपने बच्चों के साथ अब पति के घर गिरिडीह के बिरनी गांव पहुंच गई है।
परियोजना निदेशक इन्द्रमणि साहू की काउंसिलिंग की बदौलत यह संभव हो पाया है। इससे एक ओर जहां महिला को अपना खोया हुए जीवनसाथी का प्यार दोबारा मिल गया है। वहीं, उनके दोनों बच्चों को भी पिता का सहारा मिल गया है।
मालूम हो कि उज्जवला होम में ऐसी 15 महिलाएं रहती हैंं जो किसी न किसी कारण से दुखियारी बनी हुई हैं।
परियोजना के निदेशक इंद्रमणि साहू कहते हैं कि महिलाओं की काउंसेलिंग करवाकर उनमें उनका खोया हुआ विश्वास लौटाने की कोशिश जारी है।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार, गिरिडीह के बिरनी की रहने वाली एक दो बच्चों की मां और उसके पति के संबंध में खटास आ गया था। इस कारण पति ने चार माह पहले ही उसे छोड़ दिया था।
बिरनी पुलिस ने उसे हजारीबाग के पतरातू मुहल्ले में स्थित उज्जवला होम भेज दिया। यहां उनकी नियमित काउंसिलिंग हुई। पति समेत रिश्तेदारों को बुलाया गया समझाया गया। परिजनों की आंखें खुलीं तो महिला को वापस अपने घर ले गए।
कई पंचायतें हुईं पर नहीं सुलझ रहा था मामला
जानकारी के अनुसार, गिरिडीह जिले के बिरनी थाना से आयी महिला के पति को झूठी शंका हो गई थी। पत्नी को छोड़े जाने के बाद दोनों परिवारों में कई बार मारपीट और पंचायतें भी हुईं।
परन्तु कोई हल नहीं निकला। जब पत्नी को घर से निकाल दिया तो मामला बिरनी थाना पहुंच गया। बिरनी थाना द्वारा पीड़िता को आश्रय के लिए उज्जवला होम पहुंचा दिया गया।
परियोजना निदेशक की पहल लाई रंग
मामले की गंभीरता को देखते हुए परियोजना निदेशक इन्द्रमणि साहू ने पीड़िता के पति, उनके भाई, देवर समेत अन्य रिश्तेदारों को बुलाया।
साथ ही बिरनी थाना के एएसआई नवीन कुमार, पूर्व मुखिया सुखदेव साव एवं अन्य ग्रामीणों को भी आमंत्रित किया। सभी के सहयोग से मामले पर पहल हुई और आवश्यक परामर्श एवं कागजात तैयार करते हुए पति-पत्नी को मिलाया गया।