पटना: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर सियासत में आया उबाल शांत होने के नाम नहीं ले रहा है।
इस बीच, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर जातीय जनगणना कराने की मांग की है।
तेजस्वी ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी, तो पिछड़ी जातियों की शैक्षणिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का न तो सही आकलन हो सकेगा और नहीं उनकी बेहतरी और उत्थान संबंधित समुचित नीति निर्धारण हो पाएगा।
तेजस्वी ने आगे कहा कि जनगणना नहीं होने की स्थिति में उनकी संख्या के अनुपात में बजट का आवंटन भी नहीं होगा।
पत्र में तेजस्वी ने जिक्र करते हुए कहा कि 90 साल पहले जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी। इस कारण अब यह समय और बहुसंख्यक आबादी की मांग है।
तेजस्वी ने यह भी बताया कि इस मांग और प्रस्ताव पर भाजपा सहित बिहार के सभी राजनीतिक दल विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों ने उत्साहपूर्वक सर्वसम्मति से एक स्वर में दो बार इसका प्रस्ताव पास करवाकर केंद्र सरकार को भेजा गया है।
तेजस्वी ने पत्र में कहा है कि 2019 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी देश को 2021 में जातीय जनगणना कराने का ठोस आश्वासन दिया था।
तेजस्वी ने पत्र के अंत में विश्वास जताते हुए कहा है कि आप बिहार राज्य की जनभावना को ध्यान में रखते हुए बिहार विधानसभा द्वारा पारित प्रस्तावित जनगणना 2021 जातिगत आधार पर होगी।
उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मुद्दे को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल के मिलने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर समय की मांग की है, लेकिन कहा जा रहा है कि अब तक उस पत्र का जवाब नहीं आया है।
तेजस्वी ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह मुख्यमंत्री का अपमान है।
उन्होंने कहा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर चार अगस्त को मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा, लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री की तरफ से मिलने का समय नहीं दिया गया है।
उन्होंने कहा कि बिहार में राजग की सरकार है, केंद्र की सत्ता भी राजग के पास है, ऐसे में मुख्यमंत्री को समय नहीं मिल रहा तो ये उनका अपमान है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि पिछले बिहार विधानसभा मानसून सत्र के दौरान राजद, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर जातीय जनगणना के मुद्दे पर अपनी बात रखी।
उस समय मुख्यमंत्री नीतीश ने आश्वासन दिया कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए समय मांगेंगे।
राजद नेता ने बिहार सरकार से यह भी मांग की है कि अगर केंद्र सरकार जातीय जनगणना के लिए तैयार नहीं होती हैं, तो राज्य सरकार को कर्नाटक सरकार की तर्ज पर जातिगत जनगणना करानी चाहिए।