वाशिंगटन: जानलेवा कोरोना वायरस महामारी का अब धीरे-धीरे लैंब्डा वेरिएंट भी अपना खतरनाक रूप दिखा रहा है।
यह वेरिएंट सबसे पहले दिसंबर में पेरू में पाया गया था जो अब तक अमेरिका, यूके समेत 30 देशों में फैल चुका है।
टेक्सास में भी लैंब्डा वेरिएंट ने दस्तक दे दी है। पिछले महीने ह्यूस्टन मेथोडिस्ट अस्पताल में लैंब्डा वेरिएंट का पहला मामला सामने आया।
अमेरिका के विशेषज्ञों के मुताबिक वह इस नए लैंब्डा वेरिएंट पर नजर बनाए हुए हैं।
बता दें कि पिछले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी लैंब्डा (सी.37) को ‘वेरिएंट ऑफ कंसर्न’ घोषित किया था।
अपने साप्ताहिक बुलेटिन में, डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि कई देशों में लैंब्डा का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो चुका है, इसकी वजह से कोविड-19 के मामले अचानक से बढ़े हैं।
पेरू में इस वेरिएंट के 80 फीसदी से अधिक नए मामले सामने आए हैं।
रोचेस्टर में मेयो क्लिनिक में मेडिसिन के प्रोफेसर और वैक्सीन रिसर्च ग्रुप के निदेशक डॉ ग्रेगरी पोलैंड ने हाल ही में सीएनएन से बातचीत में कहा था कि लैंब्डा वेरिएंट जितनी तेजी से फैल रहा है, उससे चिंतित होना जरूरी है क्योंकि यह बड़ी आबादी को अपनी चपेट में ले सकता है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि फेनोटाइपिक के प्रभाव से लैंब्डा में बहुत सारे म्यूटेशन आ गए हैं. इसकी वजह से संक्रमण दर तेजी से बढ़ा है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जितना ज्यादा सार्स-कोव-2 फैलेगा, उतना ही ज्यादा उसे म्यूटेशन का मौका मिलेगा।
अमेरिका के संक्रामक रोग सोसायटी के एक विशेषज्ञ मलानी ने कहा कि अभी यह अध्ययन हो रहा कि लैंब्डा पर वैक्सीन कितनी असरदार है लेकिन इतना है कि इस वेरिएंट से वैक्सीन सुरक्षित हैह।
मलानी ने कहा कि हमने महामारी के दौरान सीखा है कि चीजें जल्दी से बदल सकती हैं, इसलिए सामान्य रूप से अगर कोविड-19 से उभर आए हैं तो लैम्ब्डा से भी जूझने में मदद मिलेगी।
मलानी ने लिखा कि जब तक सार्स-कोव-2 नियंत्रित नहीं होता तब तक भविष्य में इस वायरस के और भी वेरिएंट देखने को मिलेंगे।
बता दें कि कोरोना वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है और हर बार अपने एक नए वेरिएंट के साथ लोगों की मुश्किलें बढ़ा रहा है। कोरोना का सबसे ज्यादा संक्रामक वेरिएंट अब तक डेल्टा ही माना जा रहा था ।