वॉशिंगटन: अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने से अमेरिका भी सहम गया है।
एक अमेरिकी शीर्ष जनरल ने कहा कि तालिबान द्वारा संचालित अफगानिस्तान से अमेरिका को बढ़े हुए आतंकी खतरों का सामना करना पड़ सकता है।
यह चेतावनी ऐसे वक्त आई है जब अमेरिका के समर्थन वाली अफगान सेना के इतनी तेजी से पांव उखड़ने को लेकर इन खतरों का अनुमान लगाने वाली खुफिया एजेंसियों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
अमेरिकी खुफिया अनुमान में एक हफ्ते से भी कम समय पहले कहा गया था विद्रोही काबुल को 30 दिनों में घेर सकते हैं, लेकिन दुनिया ने चौंकाने वाली तस्वीरें देखीं कि तालिबान लड़ाके अफगान राष्ट्रपति के कार्यालय में खड़े हैं जबकि अफगान नागरिकों और विदेशियों की भीड़ देश के बाहर जाने की कोशिश में हवाईअड्डों पर पहुंच रहे हैं।
ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने रविवार को सिनेटरों को बताया कि अमेरिकी अधिकारियों के अफगानिस्तान में आतंकवादी समूहों के पुनर्गठन की गति के बारे में अपने पिछले आकलन को बदलने की उम्मीद है।
इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने यह जानकारी मीडिया ने दी।
पेंटागन के शीर्ष नेताओं ने जून में कहा था कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के दो साल के अंदर वहां अल-कायदा जैसे आतंकी समूह फिर से संगठित हो सकते हैं और अमेरिका के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं।
तालिबान द्वारा अलकायदा के सरगनाओं को शरण देने के कारण दो दशक पहले अमेरिका ने तालिबान पर हमला किया था।
विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान और अलकायदा का गठबंधन बना हुआ है और दूसरे हिंसक समूहों को भी नए शासन के तहत सुरक्षित पनाहगाह मिल सकती है।
मामले की जानकारी रखने वाले व्यक्ति के मुताबिक सीनेटरों को ब्रीफिंग में बताया गया कि बदलती परिस्थिति के मद्देनजर अधिकारियों का अब मानना है कि अलकायदा जैसे आतंकी समूह उम्मीद से कहीं ज्यादा तेजी से अपने पांव पसार सकते हैं।
इस मामले में विवरण देने के लिये अधिकृत न होने के वजह से व्यक्ति ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर यह जानकारी दी।