नई दिल्ली: चुनाव वाले राज्यों में भाजपा का जोर अब संगठनात्मक मजबूती पर है। इसके लिए संगठनात्मक नियुक्तियों पर जोर दिया जाएगा।
ऐसे में जिन राज्यों में उसकी सरकारें हैं वहां पर सरकार के स्तर पर नई नियुक्तियों समेत नए बदलाव होने की संभावनाएं बेहद कम हैं।
पार्टी अब किसी को खुश व नाराज करने में नहीं पड़ना चाहती है, बल्कि मौजूदा टीम के साथ ही आगे बढ़ने की कोशिश कर सकती है।
अगले साल के शुरू में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, पंजाब व गोवा में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इन राज्यों में चुनावी ताना-बाना बुना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व नए मंत्रियों की जन आशीर्वाद यात्राओं के बाद चुनाव वाले राज्यों में जरूरी संगठनात्मक बदलाव करेगी।
इसमें नए लोगों को चुनावी काम से जोड़ा जाएगा। केंद्रीय स्तर पर नई कार्यकारिणी के भी जल्द गठन की संभावना है। ऐसा होने पर राज्यों में कुछ और लोगों को जोड़ा जा सकेगा।
सूत्रों के अनुसार, चुनाव वाले राज्यों में अब समय कम होने के कारण मंत्रिपरिषद विस्तार समेत विभिन्न सरकारी नियुक्तियां न करने पर भी विचार किया जा रहा है।
पार्टी में यह माना जा रहा है कि अब नए बने लोगों को वैसे भी काम करने का ज्यादा मौका नहीं मिलेगा और जो लोग कुछ नहीं बन पाएंगे उनमें नाराजगी भी बढ़ सकती है। ऐसे में चुनावी गतिविधियां प्रभावित होंगी।
इसलिए नियुक्तियों के बजाय बेहतर समन्वय पर जोर दिया जाए। संसद का अगला शीतकालीन सत्र अब नवंबर-दिसंबर में होना है।
तब तक केंद्र सरकार के मंत्रियों व सांसदों के पास ज्यादा समय होगा और वे अपने कामकाज व क्षेत्र के साथ चुनावी राज्यों में भी ज्यादा समय दे सकेंगे।
इन नेताओं के संपर्क कार्यक्रमों की भी तैयारी की जा रही है। अगले माह पार्टी चुनाव वाले राज्यों के लिए कुछ और कार्यक्रम लेकर आ सकती है।