रांची: हाई कोर्ट में जल स्रोतों पर अतिक्रमण के मामले में जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
अदालत ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत गरीब के साथ है लेकिन उनके पुनर्वास का उपाय सरकार के पास नहीं है।
अदालत रांची को बचाना चाहती है लेकिन कोर्ट निर्मम नहीं हो सकती है। न्याय सबके लिए समान होना चाहिए।
इसलिए गरीबों को नोटिस के बाद थोड़ा ज्यादा समय देना चाहिए ताकि वे व्यवस्था कर सकें। अदालत ने मानसून तक अतिक्रमण हटाने पर रोक लगा दी है। यह 15 अक्टूबर तक रहेगी।
अदालत ने कहा कि कोर्ट राज्य और शहर को बचाना चाहती है। इसलिए अतिक्रमण को हर हाल में हटाना होगा लेकिन अमीर और गरीब के खिलाफ समान रूप से कार्रवाई करनी होगी।
सिर्फ गरीब को हटाना सही नहीं है। इस दौरान नगर विकास सचिव ने कहा कि ऐसे लोगों के लिए पीएम आवास योजना के तहत मकान दिए जाने की योजना है।
साथ ही अदालत ने इसी मामले में रांची डीसी पर गलत जानकारी देने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला चलाएंगे।
कोर्ट ने अरगोड़ा के प्लाट नंबर 430 और खाता नंबर 205 के सभी राजस्व दस्तावेज की मांग की।
डीसी की ओर से बैठक में होने की बात पर कोर्ट ने उन्हें पहले मीटिंग करने को कहा।
वादी की ओर से कहा गया कि जलाशयों के क्षेत्र को चिन्हित करने के लिए राजस्व रिकार्ड को डिजिटलाइज करना चाहिए। अदालत ने कहा कि यह बहुत आवश्यक है ताकि फ्राड को कम किया जा सके।
सुनवाई के दौरान नगर विकास सचिव ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के बाद जलाशयों के एरिया की चिन्हित कर फिनसिंग किया जाएगा।
हर तीन माह और छह माह में ड्रोन से सर्वे होगा ताकि दोबारा अतिक्रमण पर नजर रखी जाए।
इसके लिए रांची नगर आयुक्त को निर्देश दिया गया है ताकि जल्द से टेंडर जारी किया जाएगा।
मैन पॉवर की कमी के सवाल पर सचिव ने कहा कि निगम में संविदा पर मैन पॉवर रखा गया है।