बोकारो: झारखंड अलग राज्य गठन के 20 साल बाद भी यहां के लोग खासकर चिकित्सा के क्षेत्र में भगवान भरोसे हैं। जी हां, बेरमो अनुमंडल के गोमिया प्रखंड की ढाई लाख आबादी को सेहतमंद रखने की भार महज तीन डॉक्टरों के कंधे पर है।
कुल 36 पंचायतों वाले इस प्रखंड में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ ही तीन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं 20 स्वास्थ्य उपकेंद्र भी हैं, लेकिन सिर्फ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ही तीन डॉक्टर हैं।
जबकि तीनों अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एवं 20 स्वास्थ्य उपकेंद्र चिकित्सक विहीन है। इस प्रखंड में एक भी महिला चिकित्सक नहीं है।
कम से कम 13 डॉक्टर्स की जरूरत
चिकित्सकों की कमी के कारण यहां के सुदूर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना पड़ता है। महुआटांड़, चतरोचट्टी और साड़म अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं हैं।
वहीं, उग्रवाद प्रभावित पचमो, झुमरा पहाड़, चुट्टे, कुंदा, सियारी सहित अन्य पंचायतों में निर्मित स्वास्थ्य उपकेंद्र को अबतक चालू नहीं किया गया। आबादी के लिहाज से गोमिया प्रखंड में कम से कम 13 डॉक्टरों की आवश्यकता है।
छह डॉक्टर थे पोस्टेड
पूर्व में गोमिया प्रखंड में छह डॉक्टर पदस्थापित थे। उनमें महुआटांड़ में पदस्थापित डॉ. अंशु कुमार कुछ दिन पहले रिजाइन कर चले गए। गोमिया के चिकित्सा प्रभारी डॉ. एफ होरो को बेरमो में पदस्थापित कर दिया गया।
जबकि महिला चिकित्सक डॉ. निशा किडो ट्रनिग करने चली गई हैं, इस कारण महुआटांड़, चतरोचट्टी व साड़म अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सक विहीन हो गया है।
क्या कहते हैं चिकित्सा पदाधिकारी
इस संबंध में डॉ. राकेश कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, गोमिया का कहना है कि गोमिया प्रखंड में कुल 13 डॉक्टरों के पद सृजित हैं।
अभी पूरे प्रखंड में मात्र तीन ही डॉक्टर हैं। अन्य डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति के लिए स्वास्थ्य विभाग व राज्य सरकार को पत्र लिखा गया है। जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी।