काबुल: अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद यहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़ने और सरकारी खजाने से 12 अरब रुपये लेकर फरार होने के लग रहे आरोपों पर राष्ट्रपति ने अब सफाई दी है।
अफगानिस्तान से भागकर संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे अशरफ गनी ने बुधवार को एक वीडियो मैसेज जारी करके कहा कि काबुल को तालिबान ने घेर लिया था और वह रक्तपात को रोकने के लिए देश छोड़कर गए।
अशरफ गनी ने कहा कि उन्हें काबुल को इतना जल्दी छोड़ना पड़ा कि वह अपने सैंडल को उतारकर जूते तक नहीं पहन सके।
अशरफ गनी ने कहा, ‘मैंने केवल एक वेस्टकोट और कुछ कपड़े लेकर गया। मेरी चारित्रिक हत्या करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं और कहा जा रहा है कि मैं पैसा लेकर भागा हूं। ये आरोप बेबुनियाद हैं। आप कस्टम विभाग के अधिकारियों से भी पूछ सकते हो। वे आधारहीन हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं अपने सैंडल उतारकर उनकी जगह पर जूते भी नहीं पहन सका। मुझे अफगानिस्तान से बाहर ले जाया गया।’
यूएई में रह रहे गनी ने कहा, ‘अगर मैं रुका होता तो मैं काबुल में रक्तपात का गवाह बनता। मैंने सरकारी अधिकारियों की सलाह पर अफगानिस्तान को छोड़ा है।
काबुल को सत्ता के संघर्ष में एक और यमन या सीरिया में नहीं बदलना चाहिए, इस वजह से मैं देश छोड़ने को मजबूर हुआ।’
इससे पहले तजाकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अघबार ने राष्ट्रपति अशरफ गनी पर सरकारी कोष से 16.9 करोड़ डॉलर की ‘चोरी’ करने का आरोप लगाया था और अंतरराष्ट्रीय पुलिस से उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की थी।
तालिबान के काबुल के पास पहुंचते ही गनी रविवार को अफगानिस्तान छोड़कर चले गए थे और बुधवार तक उनके ठिकाने की कोई जानकारी नहीं थी।
बाद में संयुक्त अरब अमीरात ने कहा कि उसने ‘मानवीय आधार’ पर गनी और उनके परिवार को अपने यहां अनुमति दी है।
राजदूत मोहम्मद जहीर अघबार ने बुधवार को कहा कि ‘गनी ने राज्य के खजाने से 16.9 करोड़ डॉलर चुराए’ और गनी के जाने को ‘राज्य और राष्ट्र के साथ विश्वासघात’ करार दिया।