नई दिल्ली: अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि पिछले साल यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत 43,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
वेणुगोपाल ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के विवादास्पद फैसले के खिलाफ अपील की सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी।
विवादास्पद फैसले में कहा गया है कि ‘कानून के अनुसार, त्वचा से त्वचा के संपर्क’ के बिना नाबालिग के शरीर को टटोलना यौन उत्पीड़न के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है।
अटॉर्नी-जनरल ने कहा कि जहां तक पॉक्सो का सवाल है तो यह एक अपमानजनक फैसला है।
वेणुगोपाल ने कहा, ‘अगर कल को कोई व्यक्ति सर्जिकल ग्लव्स पहनकर किसी महिला के साथ छेड़छाड़ करता है तो इस अपराध के लिए उसे हाईकोर्ट के विवादित फैसले के मुताबिक यौन उत्पीड़न के लिए सजा नहीं दी जा सकेगी।
बता दें कि इस साल जनवरी में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेच ने कहा था कि अगर बच्चे/बच्ची से स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट नहीं होगा तो फिर पोक्सो एक्ट नहीं लगाया जाएगा।
यह कहकर हाईकोर्ट ने आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसपर रोक लगा दी थी।