नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के इनीशियल पब्लिक ऑफर (आईपीओ) के लिए केंद्र सरकार की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं।
माना जा रहा है कि एलआईसी का आईपीओ देश का अभी तक का सबसे बड़ा इश्यू हो सकता है।
इसीलिए इस इश्यू का प्रबंधन करने के लिए एसबीआई कैपिटल, गोल्डमैन सैक्स और सिटीग्रुप समेत 10 इन्वेस्टमेंट बैंकों का चयन किया गया है।
प्राथमिक आकलन के आधार पर माना जा रहा है कि केंद्र सरकार एलआईसी में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटा सकती है।
सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत भारतीय जीवन बीमा निगम के विनिवेश को काफी अहम माना जा रहा है।
क्योंकि मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक यानी 31 मार्च, 2022 तक के लिए केंद्र सरकार ने विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है।
इस लक्ष्य को पूरा करने में एलआईसी का आईपीओ काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।
जानकारों के मुताबिक भारतीय जीवन बीमा निगम के आईपीओ के वास्तविक आकार के बारे में जल्द ही मंत्रिमंडलीय पैनल फैसला कर सकता है।
इस आईपीओ के तहत केंद्र सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम से अपनी कुल 10 फीसदी हिस्सेदारी कम करने वाली है।
बताया जा रहा है कि आईपीओ के विशाल आकार होने की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार दो चरणों में एलआईसी का आईपीओ ला सकती है।
ऐसा होने का एक फायदा पहले चरण के आईपीओ को मिले रिस्पॉन्स के आधार पर दूसरे चरण के आईपीओ का रेट फिक्स करने में भी मिल सकता है।
जानकारों के मुताबिक एलआईसी के आईपीओ का साइज भारत में अभी तक आए किसी भी आईपीओ की तुलना में काफी अधिक रहने वाला है। केंद्र सरकार इस आईपीओ को लेकर काफी उत्साहित है।
इसीलिए इस आईपीओ की सफलता को सुनिश्चित करने के इरादे से दुनिया भर के तमाम बड़े शहरों में रोड शो करने की योजना बनाई गई है।
ताकि घरेलू निवेशकों के साथ ही बड़े विदेशी निवेशकों को भी इस आईपीओ के प्रति आकर्षित किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि भारतीय जीवन बीमा निगम देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी है। इसकी कुल परिसंपत्तियां 34 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हैं।
भारतीय जीवन बीमा श्रीलंका, सऊदी अरब, केन्या, नेपाल, बहरीन और बांग्लादेश में भी ज्वाइंट वेंचर के तहत कारोबार कर रही है। इसके अलावा सिंगापुर में एलआईसी की सब्सिडियरी काम कर रही है।
बीमा क्षेत्र के इस विशाल साम्राज्य वाली कंपनी के आईपीओ को मैनेज करने के लिए देसी और विदेशी मिलाकर कुल 16 बैंक लाइन में थे।
इन बैंकों में नौ भारतीय बैंक और 7 विदेशी बैंक भी शामिल थे। इन 16 बैंकों में से आखिरी तौर पर कुल 10 बैंकों का चयन इन्वेस्टमेंट बैंक के तौर पर किया गया है।