खूंटी: प्रदान संस्था के तत्वावधान में मंगलवार को मनरेगा और ग्रामीण आजीविका विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसमें चार राज्यों झारखण्ड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के मनरेगा आयुक्तों सहित विभिन्न राज्यों की गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
वेबिनार का उद्देश्य अलग-अलग राज्यों में मनरेगा अंतर्गत होनेवाले गतिविधियों के बारे में समझ बनाना और आगे क्रियान्वयन को लेकर रणनीति बनाना था।
वेबिनार की औपचारिक शुरुआत प्रदान के कार्यकारी निदेशक नरेन्द्र नाथ दामोदरन द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का संचालन प्रदान के मानस सतपति तथा साहेब भट्टाचार्या ने किया।
चारों राज्यों के मनरेगा आयुक्तों ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपने-अपने राज्यों में की जाने वाली गतिविधियों को लोगों के समक्ष विस्तार पूर्वक रखा।
राजेश्वरी बी मनरेगा आयुक्त, झारखण्ड ने राज्य में मनरेगा की कार्य प्रणाली पर विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि राज्य में गैर-सरकारी संस्थाओं और तकनीकी संस्थानों से साथ मिलकर मनरेगा की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है।
राज्य में मनरेगा शिकायतों के निवारण के लिए मनरेगा सहायता केंद्र एवं शिकायत निवारण केंद्र की अहम भूमिका रही है।
मनरेगा अंतर्गत चल रही कई महत्वकांक्षी योजनाएं जैसे बिरसा हरित ग्राम योजना, दीदी बाड़ी योजना एवं दीदी बगिया योजना के बारे में उन्होंने कहा कि झारखण्ड के परिप्रेक्ष्य में इस प्रकार की योजनाएं लोगों को एक बेहतर भविष्य बनाने में और आय के स्रोत सृजन करने में मददगार सिद्ध होंगी।
मनरेगा कमिश्नर ने राज्य में अप्रवासी मजदूरों की समस्या एवं पलायन को रोकने के लिए आजीविका को सुदृढ़ करने वाले कार्यक्रमों को व्यापक विस्तार देने एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के माध्यम से झारखण्ड में जल संचयन एवं संरक्षण की संभावनाओं की चर्चा की।
बिरसा हरित ग्राम योजना अंतर्गत बागवानी योजना के सफल प्रयोग एवं नवाचार को लाने में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका की सराहना की और कहा कि व्यक्तिगत आमदनी में वृद्धि हुई है और इसे कन्वर्जेन्स के माध्यम से और विकसित करना है, ताकि लोग अकुशल मजदूरी तक सीमित न रहें, बल्कि गरिमामयी आजीविका उपार्जन कर आत्मनिर्भर बनें।