चंडीगढ़: केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर किसान संगठन अड़े हुए हैं। किसान संगठनों ने दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्र सरकार की दलील सुनने की बजाय कृषि कानूनों को निरस्त करने पर एस और नो के पोस्टर दिखाए।
यही नजारा सोमवार को टीकरी बाॅर्डर पर देखने को मिला। धरने पर बैठे किसानों ने अपने हाथों में एस और नो के पोस्टर ले रखे थे।
इस दौरान धरनारत किसान कुछ नहीं बोले, केवल सरकार को चेताया कि 9 दिसम्बर को भी सरकार की कोई दलील नहीं सुनी जाएगी। उन्हें केवल इतना जवाब चाहिए कि कृषि कानून रद्द होंगे या नहीं?
सोमवार को भी सिंघु व टीकरी बार्डर पर किसानों की मोर्चेबंदी जा रही। सिंघु बार्डर पर सुबह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसानों का समर्थन देने पहुंचे तो हरियाणा से राज्यसभा सांसद ने किसानों से मुलाकात की और कृषि कानूनों के विरोध में संसद के सामने धरना दिया।
वहीं पलवल की ओर से रहे किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग-19 को बंद कर दिया, जिससे लंबा जाम लग गया। वाहनों के न चलने के कारण लोगों को कई किलोमीटर पैदल सफर करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पलवल में किसान राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर केएमपी केजीपी इंटरचेंज अटोहा के पास धरना दे रहे हैं।
नहीं थम रहा मंत्रियों के विरोध का सिलसिला
केंद्रीय राज्य मंत्री रतन लाल कटारिया से लेकर प्रदेश में कानून का जिम्मा संभाल रहे गृह मंत्री अनिल विज किसानों का विरोध झेल चुके हैं।
सोमवार को सिरसा के गांव धनू में हरियाणा के ऊर्जा, जेल एवं बिजली मंत्री को किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। गांव धनूर में किसानों ने कार्यक्रम स्थल के मंच के सामने खड़े होकर बिजली मंत्री का विरोध जताया और मांग की कि वे सरकार से समर्थन वापस लें और मंत्री पद छोड़कर किसानों के बीच में आएं।