रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोमवार को पत्र लिख 15वें वित्त आयोग द्वारा कुपोषण के खिलाफ लड़ाई के लिए 2020-21 के लिए आवंटित 312 करोड़ रुपये विमुक्त करने का आग्रह किया है।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि कुपोषण की गंभीर समस्या को देखते हुए पूरक पोषाहार कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के लिए सामान्य आवंटन के अतिरिक्त 7,735 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटन देने की अनुशंसा की गई है।
आयोग ने इस कार्य के लिए झारखण्ड को अतिरिक्त 312 करोड़ रुपये आवंटित करने की अनुशंसा की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में बहुतायत में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति के सदस्य निवास करते हैं एवं इस कुपोषण का सीधा संबंध इस समुदाय में देखा गया है।
उन्होंने लिखा है कि इस स्थिति में वह झारखण्ड राज्य के समस्त नागारिकों की ओर से आग्रह करते हैं कि झारखंड राज्य के लिए वर्ष 2020-21 के लिए अनुशंसित 312 करोड़ रुपये एवं अग्रेत्तर वर्षों के लिए राशि विमुक्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार को निर्देशित करने की कृपा करें।
कुपोषण की स्थिति और सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की भी दी जानकारी
मुख्यमंत्री ने पत्र के जरिए बताया कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में झारखण्ड के लिए कुपोषण की जो तस्वीर सामने आई है, उसके तहत 0 से 6 वर्ष के बच्चों में प्रत्येक दूसरा बच्चा कुपोषण का शिकार है।
45 प्रतिशत बच्चे मानक से कम वजन के हैं। 23 प्रतिशत बच्चे दुबले-पतले होते हैं। 11.3 प्रतिशत बच्चे अत्यंत कुपोषित होते हैं। 40.3 प्रतिशत बच्चे अल्प विकसित हैं।
इस समस्या को राज्य सरकार ने गंभीरता से लेते हुए अपनी प्राथमिकता में रखा है और भारत सरकार के कार्यक्रमों के अलावा अपने सीमित संसाधनों से कुपोषण की समस्या से लड़ने का निर्णय लिया है।
राज्य सरकार इसके लिए अपने संसाधनों से 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पूरक पोषाहार कार्यक्रम के अतिरिक्त बच्चों को अंडा एवं अन्य बच्चों को समकक्ष प्रोटीनयुक्त भोजन देने पर विचार कर रही है।
ऐसे में केंद्र सरकार अगर अनुशंसित 312 करोड़ रुपये की राशि विमुक्त करती है, तो कुपोषण के खिलाफ लड़ी जा रही लड़ाई में राज्य सरकार को काफी सहयोग मिलेगा।