लखनऊ: लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) अपने कैडवेरिक मल्टी-ऑर्गन डोनेशन (सीएमओडी) कार्यक्रम को पूरी तरह से पुनर्जीवित करने के लिए तैयार है।
यह कार्यक्रम ब्रेन डेड रोगियों के अंगों को उन लोगों में प्रत्यारोपण के लिए पुनप्र्राप्त करके प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जान बचाने में मदद करेगा, जिनके अंग विफल हो गए हैं।
यह कॉर्निया प्रत्यारोपण के माध्यम से दृष्टिबाधित लोगों के जीवन में भी उजाला लाएगा और त्वचा कैंसर व गंभीर रूप से जलने से पीड़ित लोगों के त्वचा प्रत्यारोपण में मदद करेगा।
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में रोजाना औसतन 1-2 ब्रेन डेथ रिकॉर्ड किए जाते हैं।
इनमें से ज्यादातर मरीज हादसों के शिकार होते हैं। दो गुर्दे, दो फेफड़े, यकृत, हृदय, अग्न्याशय, आंत, कॉर्निया और त्वचा के ऊतकों सहित कई अंग दान किए हुए शरीर से प्राप्त किए जा सकते हैं।
केजीएमयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल प्रोफेसर बिपिन पुरी (सेवानिवृत्त) ने सीएमओडी कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने की पहल की है।
उन्होंने कहा, कार्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए पहले कदम के रूप में विश्वविद्यालय मंगलवार से अपने संकाय सदस्यों और पैरामेडिक के लिए जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन करेगा।
कैजुअल्टी और क्रिटिकल केयर विभागों में कर्मचारी उन्हें ब्रेन डेथ के बाद उन कदमों के बारे में बताएंगे, जिनका पालन दूसरों के लिए अंग पुनप्र्राप्ति की जा सके।
काउंसलिंग टीम को भी मजबूत किया जाएगा और ब्रेन डेड मरीजों के परिवारों को मृतक के अंगदान के लिए मनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को सुचारु रूप से चलाने के लिए विभागों के बीच समन्वय के लिए एक समिति भी गठित की जाएगी।
समिति यह भी सुनिश्चित करेगी कि सीएमओडी राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन और राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के दिशानिर्देशों के अनुपालन में किया जाता है।
शवदान केवल तभी किया जा सकता है, जब किसी मरीज को लगातार 2 एपनिया परीक्षणों के छह घंटे के अंतराल के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाए।
एपनिया परीक्षण मस्तिष्क की मृत्यु का निर्धारण करने के लिए एक अनिवार्य परीक्षण है, क्योंकि यह ब्रेनस्टेम फंक्शन के निश्चित नुकसान का एक अनिवार्य संकेत देता है।
केजीएमयू में सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा 2016 में सीएमओडी की शुरुआत की गई थी।
विभाग ने अब तक 30 सीएमओडी आयोजित किए हैं। लगभग 24 लीवरों को प्रत्यारोपण के लिए दिल्ली स्थित संस्थानों और 58 किडनी को एसजीपीजीआईएस भेजा गया।
केजीएमयू के नेत्र विभाग ने प्रत्यारोपण के लिए मृत शरीर से प्राप्त कॉर्निया का उपयोग किया गया था।
इस समय यूपी में अधिकांश किडनी और लिवर ट्रांसप्लांट लाइव डोनेशन के माध्यम से हो रहे हैं।