नई दिल्ली: कई घंटों तक चले उठापटक और मंथन के कई दौर के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब की राजनीति के हिसाब से एक बड़ा फैसला करते हुए एक सिख दलित (चरणजीत सिंह चन्नी) को पंजाब का अगला मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया।
साफ जाहिर है कि पंजाब के दलित मतदाताओं को लुभाने के लिए यह फैसला किया गया है।
हालांकि भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सिर्फ कुछ महीनों के लिए एक दलित को सीएम बनाने से प्रदेश के दलित समुदाय को कोई लाभ नहीं होगा।
इसके साथ ही भाजपा यह दावा भी कर रही है कि पंजाब का दलित काम की वजह से मोदी का साथ देगा।
दरअसल, पंजाब में दलितों की आबादी देश में सबसे ज्यादा 32 प्रतिशत (हिंदू-सिख दोनों दलितों को मिलाकर) के लगभग है।
इसलिए सभी राजनीतिक दल दलित मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं। एक तरफ अकाली दल है, जिसने दलितों का समर्थन हासिल करने के लिए बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया है।
वहीं दूसरी तरफ पंजाब में पहली बार अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ रही भाजपा दलित और हिंदुओं के 70 फीसदी के लगभग मतदाताओं के बल पर पंजाब में कामयाबी हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है।
वर्तमान विधानसभा में सबसे ज्यादा दलित विधायकों वाली पार्टी कांग्रेस ने भी अब दलित मुख्यमंत्री बनाकर इन्हे फिर से लुभाना शुरू कर दिया है।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए पंजाब से भाजपा के दलित लोकसभा सांसद एवं केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि सिर्फ कुछ महीनों के लिए एक दलित को मुख्यमंत्री बनाने से दलितों को कोई फायदा नहीं होगा।
सोम प्रकाश ने दावा किया कि मोदी सरकार ने दलितों के विकास के लिए ऐतिहासिक काम किए हैं और पंजाब का दलित यह समझता है कि भाजपा ही उनकी सबसे बड़ी हितैषी पार्टी है।
दलित मतदाताओं पर कांग्रेस और अकाली-बसपा गठबंधन के दावे को खारिज करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा मोदी सरकार द्वारा कराए गए विकास के कामों का झंडा लेकर विधानसभा चुनाव में जाएगी और उन्हें उम्मीद है कि दलित सहित पंजाब के सभी मतदाता भाजपा का साथ देंगे।
बता दें कि पंजाब में न केवल 32 प्रतिशत के लगभग मतदाता दलित समुदाय से आते हैं, बल्कि राज्य विधानसभा की कुल 117 सीटों में से 34 अनुसूचित समुदाय के लिए ही आरक्षित है। इसलिए पंजाब में सरकार बनाने में दलित मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।