रांची: राजधानी रांची में 10 घंटों से हो रही लगातार बारिश की वजह से जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। शहर की कई सड़कें जलमग्न हो गई हैं। बुधवार को दिन भर रुक-रुक कर बारिश होती रही। रांची पानी से तर-बतर हो गई है।
इसका असर अब शहर के गली-मुहल्ले से निकलकर जलाशयों में भी दिखने लगा है।
मौसम विज्ञान केंद्र रांची के वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि पश्चिम बंगाल के गंगा के दक्षिणी मैदानी क्षेत्र में चक्रवातीय क्षेत्र से जुड़ा कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है।
इसका टर्फ लाइन झारखंड के साथ पड़ोसी राज्यों में देखने को मिल रहा है।
इस कारण राज्य के मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। राज्य में मौसम की ऐसी हालत 25 सितंबर तक बने रहने की संभावना है।
सितंबर महीने में राज्य के सभी जिलों में औसत वर्षापात में सुधार आया है। राज्य में एक जून से लेकर 21 सितंबर तक 940 मिमी बारिश हुई है।
अभिषेक आनंद ने बताया कि राज्य में अभी तक मानसून की स्थिति बेहतर रही है। अभी तक राज्य में सबसे कम बारिश पाकुड़ और गुमला में दर्ज की गई है। दोनों जिलों में औसत बारिश से करीब 33 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है।
हटिया डैम खतरे के निशान से ऊपर
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ बरसात से लगातार खाली रह जा रहा रांची का हटिया डैम इस बार खतरे के निशान के ऊपर पहुंचने के कगार पर है।
अगले एक से दो दिन में हटिया डैम के फटाक खोलने पड़ सकते हैं। ऐसी स्थिति लगभग 15 साल बाद बन रही है।
राजधानी रांची में इस दौरान 1018 मिमी बारिश अपेक्षित है, जबकि 1138 मिमी बारिश अभी तक हुई है।
जुलाई में हटिया डैम का जलस्तर 22.6 फीट था। अगस्त में यह बढ़कर 32 फीट हो गया था। वहीं, 21 सितंबर तक यह बढ़कर 37 फीट पर पहुंच गया है।
डैम में अधिकतम जल संग्रहण की क्षमता 39 फीट है। जलस्तर 38 फीट के पार पहुंचने पर स्पील वे फाटक खोलने पर विचार हो रहा है। वहीं, कांके डैम का फाटक इस बरसात में पहले ही एक बार खोला जा चुका है।
भैरवी नदी का जलस्तर बढ़ा
इधर, रामगढ़ जिले का रजरप्पा में भैरवी नदी का जलस्तर भी काफी ऊपर आ गया है। नदी का पानी कई दुकानों में घुस गया है।
यहां भैरवी नदी पर मंदिर के समीप बने छिलका पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। दामोदर नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ गया है।
हालांकि, यह नदी अभी खतरे के निशान के नीचे ही है। इसके बावजूद रामगढ़ जिला प्रशासन के द्वारा लोगों को अलर्ट किया गया है।
पतरातू डैम में भी बारिश की वजह से जल स्तर में इजाफा हो गया है। पीटीपीएस प्रबंधन के अनुसार अगर यह बारिश इसी तरह जारी रही तो डैम का फाटक भी खोलना पड़ेगा।
अगर डैम का फाटक छह इंच से अधिक खुला तो दामोदर नदी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच जाएगी।