नई दिल्ली: जीवन में स्थिरता, सहजता और सरलता लाने के लिए परमात्मा के साथ नाता जोड़ने के संदेश के साथ सोमवार को 73वां वर्चुअल निरंकारी समागम संपन्न हो गया।
निरंकारी गुरु सुदीक्षा ने इस मौके पर अपने संदेश में कहा कि जीवन के हर पहलू में स्थिरता की आवश्यकता है। परमात्मा स्थिर शाश्वत और एक रस है।
जब हम अपना मन इसके साथ जोड़ देते हैं तो मन में भी ठहराव आ जाता है।
इससे हमारी विवेकपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है और जीवन के हर उतार-चढ़ाव का सामना भी हम उचित तरीके से कर पाते हैं।
उन्होंने एक उदाहरण देते हुए स्पष्ट किया कि जैसे एक वृक्ष में फल लगने से पहले फूल आते हैं और फल उतारने का समय भी आ जाता है।
उसके बाद पतझड़ का मौसम आता है जिसमें पत्ते तक निकल जाते हैं और एक हरा-भरा वृक्ष जिसकी शाखाएं हरी-भरी लहलहाती थी अब वह सूखी लकड़ियों की तरह दिखाई देता है।
अस्थिरता और मौसम में परिवर्तन के बावजूद वह वृक्ष अपने स्थान पर खड़ा रहता है क्योंकि वह अपनी जड़ों के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है।
इसी प्रकार हमारी जड़ें हमारा आधार हमारी नींव इस परमात्मा के साथ जुड़ी रहे और हम इसके साथ एक में हो जाएं तब किसी भी परिस्थिति के आने से हम विचलित नहीं होते हैं।
समागम समापन की संध्या पर एक बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
इसमें देश-दुनिया के 21 कवियों ने हिन्दी और अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं में स्थिर से नाता जोड़े के मन का जीवन को हम शहद बनाएं शीर्षक पर विभिन्न बहुभाषी कविताओं का पाठ किया।