नई दिल्ली: वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बुधवार को दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की परिकल्पना में महिलाओं की व्यापक भूमिका वाला भारत है।
केंद्रीय मंत्री आज महिला सशक्तिकरण, लैंगिक समानता की दिशा में प्रयास विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता न केवल महिलाओं के हित के लिए है, बल्कि यह समाज और राष्ट्र के हित के लिए भी है।
उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के लिए समान अधिकार, समान भूमिका और समान अवसर की आवश्यकता पर बल दिया ताकि वे जीवन के सभी क्षेत्रों में समान रूप से योगदान दें।
पटेल ने कहा कि संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाने, जीवन पर उनके नियंत्रण और निर्णय लेने के अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
राज्य मंत्री ने प्रधानमंत्री जन धन योजना, उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना और महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने के उद्देश्य से वंचित वर्ग की महिलाओं के लिए फेलोशिप और छात्रवृत्ति जैसी सरकार की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला।
वाणिज्य राज्य मंत्री ने जोर देकर कहा कि लैंगिक समानता के लिए अवरोध मानसिकता में गहराई तक समाया हुआ है। उन्होंने कहा कि इस मानसिकता को बदलने के लिए समाज में सामूहिक प्रयास होना चाहिए।
उन्होंने वेबिनार में उपस्थित सभी लोगों से परिवार में, समाज में और इसके परिणामस्वरूप राष्ट्र में व्यक्तिगत भूमिका निभाने और सरकार के प्रयासों को पूरा करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि एक सशक्त महिला पैमाने से अधिक शक्तिशाली और वर्णन से हटकर सुंदर होती है।
उच्च शिक्षा सचिव अमित खरे ने वेबिनार को संबोधित करते हुए समाज में मौजूद भेदभाव और अवसरों की कमी के बावजूद लैंगिक समानता सूचकांक संबंधी उल्लेखनीय उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित किया।
खरे ने उच्च शिक्षा संस्थानों में बहुत कम संख्या में और विशेष रूप से प्रमुख पदों पर महिला शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाया और इस संबंध में सक्रिय प्रयासों का आह्वान किया।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. डी.पी. सिंह ने अपने उद्घाटन भाषण में इस बात की पुष्टि की कि 21वीं सदी की महिलाएं अपने और सामाजिक विकास के लिए निर्णय लेने में पूरी तरह सक्षम हैं।
प्रो. सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और समाज में समानता के प्रति संवेदनशीलता लाना शिक्षा से ही संभव है।
महिला सशक्तिकरण, लैंगिक समानता की दिशा में प्रयास विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार ने शिक्षा में महिलाओं को सशक्त बनाने के संदर्भ राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के संभावित तरीकों के बारे में शिक्षाविदों, शिक्षा शास्त्रियों, प्रशासकों और विद्यार्थियों के साथ विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान किया।
एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई की पूर्व कुलपति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मसौदा समिति की सदस्य डॉ. वसुधा कामत ने अपने मुख्य भाषण में शिक्षा प्राप्त करने के विभिन्न तरीकों के उपायों, राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से शासन व्यवस्था, लैंगिक संवेदनशीलता और लैंगिक असमानता को समाप्त करने के लिए लड़कियों के प्रति लक्षित नीतियों पर चर्चा की।
राष्ट्रीय वेबिनार के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने की।
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अन्नपूर्णा नौटियाल, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, त्रिची के निदेशक, डॉ. शाजी थॉमस, और आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव, प्रो. वी.के. मल्होत्रा ने सत्र को विशेषज्ञों के रूप में संबोधित किया।