जैसलमेर/जोधपुर: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि देश के आसपास की भू- राजनैतिक स्थिति तेज़ी से अनिश्चितता में बदल रही है और हम अंदर और बाहर दोनों तरफ से प्रकट और छद्म खतरों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने सशस्त्र बलों से आग्रह किया कि वे न केवल पारंपरिक युद्ध की तैयारी में अपनी बढ़त बनाए रखें बल्कि युद्ध के नए क्षेत्रों जैसे सूचना और साइबर क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए तैयार रहें, युद्ध क्षेत्र में रोबोटिक्स तथा ड्रोन के बढ़ते प्रयोग के लिए भी तैयारी करें।
जैसलमेर में सोमवार को भारतीय सेना के अधिकारियों और जवानों से बातचीत करते हुए, उपराष्ट्रपति ने शांति को विकास के लिए आवश्यक शर्त बताया और कहा कि हमारी सेनाओं पर देश की सीमाओं पर और देश के अंदर भी, शांति और स्थिरता बनाए रखने की महती जिम्मेदारी है।
देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाली किसी भी ताकत को हमारी सेनाओं ने मुंह तोड़ जवाब दिया है।
उपराष्ट्रपति राजस्थान की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं। सोमवार को उन्होंने जैसलमेर युद्ध संग्रहालय देखा, जहां उनका स्वागत मेजर जनरल अजीत सिंह गहलोत ने किया।
उपराष्ट्रपति ने थार रेगिस्तान की गर्म और कठिन परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए भारतीय सेना की सराहना की।
उन्होंने सैनिकों से कहा कि देश आश्वस्त रहता है कि दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का हमारी सेना द्वारा मुंह तोड़ जवाब दिया जायेगा।
जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि धारा 370, जो वैसे भी एक अस्थाई प्रावधान ही था, उसे समाप्त करके भारतीय संसद ने जम्मू कश्मीर की जनता और शेष भारत के बीच एक बड़ी बाधा को दूर कर दिया है।
गोल्डन सिटी जैसलमेर की अपनी यात्रा पर हर्ष जताते हुए नायडू ने कहा यह शहर अपनी समृद्ध संस्कृति और सैन्य विरासतों के लिए प्रसिद्ध है।
एक दिन पहले लोंगेवाला युद्ध स्थल की अपनी यात्रा को अविस्मरणीय बताते हुए नायडू ने कहा कि लोंगेवाला के ऐतिहासिक युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी और उनके साथी सैनिकों के शौर्य की प्रेरक गाथा सुन कर उनको भारतीय सेना पर बहुत गौरव हुआ है।
उन्होंने युवा पीढ़ी से आह्वाहन किया कि वे उस स्थान को जाकर अवश्य देखें कि किन कठिन परिस्थितियों में हमारे बहादुर सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं।
1971 के भारत पाक युद्ध में भारत की निर्णायक विजय के “स्वर्णिम विजय वर्ष ” के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने भारतीय सेनाओं के सभी सैनिकों को बधाई दी और उस क्षेत्र में तैनात सभी रैंकों के सैनिकों को उनकी सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।
नायडू ने फेसबुक पोस्ट कर लोगों से निकटस्थ युद्ध संग्रहालय जा कर देखने का आग्रह किया जिससे उनको यह याद रहे कि देश के नागरिक रात में चैन से सो सकें इसके लिए हमारे बहादुर सैनिक कितनी कुर्बानियां देते हैं।
अपनी यात्रा के दौरान नायडू ने स्मारक पर पुष्प चढ़ा कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और अपनी पोस्ट में लिखा, ” जब जब देश की संप्रभुता की रक्षा और देश की सुरक्षा की बात उठती है, हमारी सशस्त्र सेनाओं ने बार बार अपना और अपनी शक्ति का लोहा मनवाया है।”
उपराष्ट्रपति ने जैसलमेर में सैनिक सम्मेलन को संबोधित किया
सीमा पर स्थित जैसलमेर की अपनी यात्रा के दौरान उपराष्ट्रपति ने आज सीमा सुरक्षा बल की टुकड़ी के मुख्यालय पर आयोजित सैनिक सामनेकन को संबोधित किया और क्षेत्र में तैनात बीएसएफ बल के सैनिकों से बातचीत की।
उन्होंने दुर्गम इलाकों में भी देश की सीमाओं की रक्षा में तत्पर बीएसएफ के सैनिकों की सराहना की।
बीएसएफ के उच्च स्तर के प्रशिक्षण, अनुशासन और शानदार परंपराओं की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने नक्सलवादी और आतंकवादी हिंसा जैसे आंतरिक सुरक्षा के खतरों की रोकथाम में बीएसएफ की सफल भूमिका की प्रशंसा की।
सीमा पर बढ़ते खतरों की चर्चा करते हुए नायडू ने कहा कि सीमापार से आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी, भारत विरोधी गतिविधियों को जो प्रोत्साहन और प्रश्रय हमारे कुछ पड़ोसियों द्वारा दिया जाता रहा है, देश को उससे निरापद करने के लिए हमारे सुरक्षा बलों का चौकन्ना रहना आवश्यक है।
उन्होंने शत्रु के ड्रोन जैसे बढ़ते खतरों का कारगर निराकरण करने के लिए बीएसएफ की सराहना की। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल से अपेक्षा की कि वे आधुनिकतम टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी जवानों का प्रशिक्षण बढ़ाएं।
नायडू ने जवानों को आश्वस्त किया कि सरकार उनके लिए सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, इसके लिए सुदूर सीमा क्षेत्रों में सड़कों और संचार की कनेक्टिविटी का विस्तार किया जा रहा है और उस में सुधार किया जा रहा है तथा दूरस्थ इलाकों में बिजली पहुंचाई जा रही है।
इन उपायों से जवानों को अपने परिवारों के साथ संपर्क करने में सुविधा होगी। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने लोंगेवाला युद्ध में भाग लेने वाले सैनिक, भैरों सिंह जी को सम्मानित किया।
उपराष्ट्रपति ने जोधपुर का ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किला देखा
जैसलमेर में दो दिवसीय दौरे के बाद उपराष्ट्रपति आज जोधपुर पहुंचे। यहां उन्होंने आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर, जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले को देखा। नायडू किले की भव्यता देख कर बहुत प्रसन्न हुए।
अपनी फेसबुक पोस्ट में नायडू ने किले को राजस्थान की शान का स्वर्णिम प्रतीक बताया।
किले को देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने लिखा है कि किले के अंदर स्थित शीश महल, फूल महल और जानकी महल, हमारे शिल्पकारों और कारीगरों की कलात्मक कारीगरी और उनके हुनर को दर्शाते हैं।
उन्होंने लिखा कि किले की दीवार पर खड़े हो कर देखने पर जोधपुर शहर उतना ही विहंगम लगता है जितनी मनोरम किले के अंदर की सुंदरता है।
देश भर में स्थापत्य के अनेक अद्भुत नमूनों को देखने के बाद अपने अनुभव के आधार पर नायडू लिखते हैं कि ये स्थान हमेशा ही आपको अचंभित करते हैं। गहरे ज्ञान से भरा ये अनुभव नितांत शिक्षाप्रद रहा है।
अपने फेसबुक पोस्ट में उपराष्ट्रपति ने भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत में रुचि रखने वाले पर्यटकों और यात्रियों से देश के ऐसे स्थानों को देखने का आग्रह किया है।
उपराष्ट्रपति के इस दौरे के दौरान राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र तथा प्रदेश सरकार में मंत्री, डॉ. बुलाकी दास कल्ला भी साथ रहे।