रांची: सेंट्रल यूनिवर्सिटी (सीयूजे) राज्य के लिए गौरव की बात है। लेकिन, 10 साल बाद भी अब तक इसे स्थायी कैंपस नहीं मिल पाना चिंता का विषय है।
रिंगरोड से सटे चेरी में बन रहे सीयूजे के कैंपस को अब तक जमीन नहीं मिल सकी है। जमीन अधिग्रहण इस यूनिवर्सिटी के लिए जरूरी है, लेकिन इस पर कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं।
इन दिक्कतों को सामंजस्यपूर्ण प्रयास से ही दूर किया जा सकता है। ये बातें केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहीं।
वह सोमवार को रांची स्थित झारखंड स्टेट गेस्ट हाउस में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पदाधिकारियों सहित लैंड रेवेन्यू, पेयजल, ऊर्जा विभाग, जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में बोल रही थीं।
उन्होंने कहा कि भवन के लिए जमीन की बात हो या पहुंच पथ की, स्थानीय लोगों के साथ बैठकर रास्ता निकाला जायेगा। उन्होंने कहा कि सीयूजे की ओर से प्रपोजल आया है।
इसमें यूनिवर्सिटी ने कहा है कि नौकरी में स्थानीय लोगों का ध्यान रखा जायेगा। इसके अतिरिक्त ग्रामीणों के लिए स्किल सेंटर्स बनाये जायेंगे, जहां वहां के युवाओं को स्किल्ड बनाकर यूनिवर्सिटी में रखा जायेगा।
आस-पास के गांव और वहां संचालित स्कूल को गोद भी लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि साल 2011 में सीयूजे स्थापना के दौरान इस यूनिवर्सिटी को राज्य सरकार ने 500 एकड़ जमीन देने की बात कही थी।
इसमें से 319 एकड़ जमीन जीएम लैंड और शेष रैयती जमीन थी। जीएम लैंड में भी स्थानीय लोगों का अवैध कब्जा है।
सीयूजे की ओर से बताया गया कि सरकार की ओर से उपलब्ध जमीन पर भवन तो बन गये हैं, लेकिन उनकी घेराबंदी नहीं हो पा रही है।
लगभग 16 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा होने की वजह से घेराबंदी नहीं हो पा रही है। इस पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री की ओर से पूछे जाने पर रांची के डीसी छवि रंजन ने कहा कि यह जमीन उपलब्ध करा दी जायेगी।
लेकिन, इसके अधिग्रहण में कम से कम छह माह का समय लगेगा। सीयूजे के नये कैंपस में बिजली-पानी आदि की व्यवस्था करनी है, लेकिन केवल जमीन अधिग्रहण न हो पाने की वजह से दिक्कतें आ रही हैं।
पेयजल विभाग की ओर से बताया गया कि यहां गेतलसूद डैम से पानी आना है। जबकि, ऊर्जा विभाग के अधिकारी ने बताया कि जमीन उपलब्ध करा दी जाये, तो सब-ग्रिड बनाने का काम शुरू हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि मुख्य समस्या जमीन अधिग्रहण है। इस समस्या को खत्म करने के लिए ग्रामीणों से बात की जायेगी। उन्हें यह विश्वास दिलाना होगा कि यहां यूनिवर्सिटी के खुलने से गांव को भी फायदा होगा।