रांची: पूर्व की रघुवर दास सरकार द्वारा शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई कानून) में 2019 में किये गये संशोधन को निरस्त करने की मांग की गयी है।
यह मांग प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन वेल्फेयर एसोसिएशन (पासवा) के प्रदेश अध्यक्ष आलोक कुमार दुबे और उनकी टीम ने की है।
दरअसल, आलोक कुमार दुबे के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को राज्य के शिक्षा सचिव राजेश कुमार शर्मा से मुलाकात की।
प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात कर आरटीई कानून में रघुवर सरकार द्वारा अप्रैल 2019 में निजी स्कूलों को मान्यता को लेकर किये गये संशोधन को निरस्त करने, मान्यता के लिए जमीन की बाध्यता समाप्त करने, मान्यता के लिए आवेदन निरीक्षण शुल्क एवं फिक्स डिपॉजिट समाप्त करने, वर्तमान भवन में संचालित स्कूलों को यथावत स्वीकृति दिये जाने को लेकर ज्ञापन सौंपा।
मौके पर आलोक कुमार दुबे ने कहा कि निजी स्कूलों को मान्यता देने के लिए जानबूझकर अड़चनें पैदा की जाती हैं। पूरे देश में आरटीई के एक ही कानून हैं, सिवाय झारखंड के।
वहीं, दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में किसी भी प्रकार के नियम और कायदे-कानून पालन नहीं कराये जाते हैं।
शिक्षा सचिव ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरतापूर्वक सुनने के बाद कहा कि अन्य राज्यों की जानकारी उपलब्ध करने एवं विचार-विमर्श के बाद जल्द ही निर्णय लिये जायेंगे।
शिक्षा सचिव ने कहा कि कोई भी कानून उस समय से लागू होता है, जिस दिन से सरकार अधिसूचना जारी करती है।