रामगढ़: हाथों में मेहंदी व पांवों में महावर रचाए सुहागिन महिलाओं ने रविवार को सोलह श्रृंगार कर अपने पति की दीर्घायु व अच्छे जीवन की कामना करते हुए करवा चौथ का व्रत रखा।
संध्या समय रामगढ़ की 251 व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं ने माता वैष्णो देवी मंदिर में पूजा-अर्चना की और करवा चौथ की कथा सुनी।
पंजाबी हिन्दू बिरादरी ने व्रतधारी महिलाओं के लिए मंदिर परिसर में मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मां करवा की कथा सुनाने का विशेष प्रबंध किया था।
कथा में पंजाबी समुदाय के अतिरिक्त अन्य समाज की सुहागिन महिलाओं ने भी हिस्सा लिया और मां करवा की पूजा-अर्चना कर कथा सुनी। करवा चौथ की कथा माता वैष्णों देवी मंदिर के पुजारी पंडित लीलाधर शर्मा ने परंपरागत ढंग से श्रद्धालु महिलाओं को सुनायी।
हाथों में पूजा की थाली लिए पहुंचे 251 महिलाओं की उपस्थिति से पूरा मंदिर परिसर भक्तिमय हो गया।
लाल परिधान में सोलह श्रृंगार कर यहां आयी महिलाओं ने पूजा के बाद पंजाबी हिन्दू बिरादरी के अध्यक्ष सुरत चन्द्र वासुदेव, महासचिव वरिष्ठ पत्रकार महेश मारवाह, विश्वनाथ अरोड़ा व अन्य बुजुर्ग सदस्यों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
बिरादरी ने सभी व्रती महिलाओं और कथा सुनने आई अन्य महिलाओं को माता वैष्णो देवी के आशीर्वाद के रूप में एक-एक चुनरी भेंट दी गई।
उल्लेखनीय है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाए सुहागिन महिलाएं दिन भर निर्जला उपवास करती है। संध्या समय माता करवा की कथा सुनती हैं और चंद्रोदय के बाद अर्घ देती है।
अर्घ देने के बाद पति के हाथों जल ग्रहण कर अपना व्रत पारण करती है। कुंवारी कन्याएं भी मन पसंद वर एवं घर की कामना लिए यह व्रत रखती हैं और मां गौरी की पूजा-अर्चना करती हैं।
अन्तर सिर्फ इतना है कि जहां विवाहित महिलाएं चांद को अर्घ देकर अपना व्रत तोड़ती है वहीं कुंवारी कन्याएं तारा देखकर ही व्रत तोड़ देती हैं।