जयपुर: देश में जल निकायों, स्थानीय नदियों के व्यापक विश्लेषण एवं प्रबंधन समेत जल सुरक्षा और प्राकृतिक जल निकायों के कायाकल्प पर चर्चा के लिए एनएमसीजी और सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज की ओर से आयोजित पांच दिवसीय 5वें इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट का गुरुवार को शुभारंभ हुआ।
कोरोना संकट के चलते इस बार समिट वर्चुअल तरीके से आयोजित की गई।
समिट का उद्घाटन केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किया। कार्यक्रम की थीम अर्थ गंगा थी।
इसलिए इस बार राष्ट्रीय नदी गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही नदी क्षेत्र में रोजग़ार के अवसर को बढ़ाने के विषय पर विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री शेखावत ने बताया कि नमामि गंगे मिशन नदियों के संरक्षण का सबसे बड़ा मिशन है।
इसका उद्देश्य सिर्फ गंगा नदी की स्वच्छता नहीं है, बल्कि यह समग्र नदियों की स्वच्छता पर केंद्रित है। जो नदियों के कायाकल्प की दिशा में एक बेहतर बुनियादी ढांचा तैयार कर रहा है।
सरकार के विजन को साझा करते हुए शेखावत ने कहा कि हम एक ऐसे इको सिस्टम के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जहां पारिस्थितिक संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण के अलावा इसे अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना भी हैं।
हम अर्थ गंगा परियोजना को बढ़ावा देने और इसके प्रसार के विषय पर भी तेजी से कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह समिट जल क्षेत्र में भारत के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होगी।
नदी संरक्षण और विकास से जुड़े बड़े उद्देश्यों के साथ-साथ स्थानीय नदियों और जल निकायों के प्रबंधन में सामने आ रही जटिलताओं को सुलझाने के लिए भी यह समिट एक बेहतर मंच है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देश के सभी लोगों को पर्याप्त और अच्छी गुणवत्ता वाला पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सभी ग्रामीण घरों में नल द्वारा पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन की शुरुआत की है। यह एक विशाल कार्य है, लेकिन हम इस मिशन को भी तय समय में प्राप्त करेंगे।
कार्यक्रम में जल शक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सतत विकास की दिशा में काम कर रही है।
इसे ऐसे समझा जा सकता है कि हमने सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की क्षमता को भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही विकसित किया है।
जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने जल उपयोग के विषय पर बात करते हुए कहा कि आज जल की मांग करने वाले पक्ष और आपूर्ति पक्ष दोनों को ही बेहतर जल प्रबंधन की ज़रूरत है, उसी स्थिति में नदी का कायाकल्प संभव है।
उन्होंने जल संचयन और संरक्षण के लिए 5आर यानि रीसायकल, रीयूज, रिड्यूस, रिचार्ज (भूजल संचयन) और रिस्पेक्ट मतलब जल के आदर की बात कही।
उन्होंने कहा कि इन्हीं एलीमेंट की मदद से जल को आसानी से संरक्षित और संचित किया जा सकता है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि ज्ञान गंगा पहल के साथ हम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के साथ जुड़ रहे हैं, ताकि उनसे बेहतर ज्ञान और अनुभव हासिल कर सकें।
आईआईटी कानपुर के प्रो. विनोद तारे ने कहा कि नदी संरक्षण कई लोगों को रोजगार देने वाली एक आर्थिक गतिविधि है, जो जीडीपी में योगदान दे रहा है।
उन्होंने कहा कि गंगा देश की सभी नदियों और जल निकायों का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए, गंगा के कायाकल्प से अन्य नदियों और जल निकायों के प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।
15 दिसम्बर तक चलने वाली यह 5वीं इंडिया वाटर इम्पैक्ट समिट भारत की सबसे बड़ी जल संबंधी समस्याओं पर चर्चा करने और इसके समाधान के लिए उपयुक्त मॉडल विकसित करने के लिए सभी हितधारकों, जैसे;- सरकार, सिविल सोसायटी, वैज्ञानिक, विद्वान और शोधकर्ताओं को एक साथ एक मंच पर लेकर लाएगी।
इस बार नदियों के संरक्षण एवं संवर्धन की चुनौतियों से जूझ रहे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे गंगा बेसिन राज्यों की समीक्षा पर भी जोर दिया जाएगा।