रांची : धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को हुई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सीबीआई की चार्जशीट को उपन्यास बताया।
वहीं, मामले में धारा 302 पर भी सवाल उठाया। यह सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई। इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि इस केस में पहले हम जहां थे, वहीं आज भी हैं और उसी के बीच सीबीआई ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी। हर बार एक ही तरह की स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की जाती है।
जिस तरह से सीबीआई ने दो आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की है, वैसा पुलिस कर सकती है, जबकि सीबीआई उससे बेहतर जांच एजेंसी मानी जाती है।
कोर्ट इस बात को लेकर नाराज था कि बिना मोटिव के चार्जशीट दाखिल कर देने पर क्या सीबीआई निचली अदालत में इसे हत्या का मामला साबित कर पायेगी। अदालत ने कहा कि यह मामला अब गैर इरादतन हत्या और एक्सीडेंट की ओर बढ़ रहा है।
कोर्ट ने पूर्व में ही सीबीआई को आगाह किया था कि जल्द से जल्द इस मामले में शामिल षड्यंत्र की कड़ी को ढूंढें, नहीं तो आरोपी बचने का रास्ता निकाल सकते हैं।
अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर इतने बड़े केस का ऐसा हश्र होगा, तो यह सिस्टम और देश के लिए बहुत दुखद होगा, क्योंकि सीबीआई पहले ही कह चुकी है कि जज को जानबूझकर मारा गया है।
कोर्ट ने कहा कि वह सीबीआइ की अब तक की जांच से दुखी है। जब यह मामला उनको सौंपा गया था और उनकी जांच की तेजी को देखकर ऐसा लगा कि कुछ दिनों में ही सीबीआई इस मामले का खुलासा कर देगी लेकिन इतना समय बीतने के बाद भी कुछ भी नहीं निकला है। यह निराश करने वाला है।
कोर्ट ने एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति को लेकर भी कड़ी नाराजगी जतायी। कोर्ट ने कहा कि जब यह मामला कोर्ट में चल रहा है, तो विज्ञापन जारी कर उसे इसलिए वापस लेना गलत है कि नियुक्ति नियम में संशोधन किया जा रहा है।
अदालत ने महाधिवक्ता के उस बयान पर कड़ी नाराजगी जतायी कि ऐसा करना राज्य सरकार का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जब तीन माह में रिक्त पदों पर नियुक्ति करने के निर्देश पर होम सेक्रेटरी ने सहमति जतायी थी, तो बिना कोर्ट को सूचना दिये विज्ञापन को वापस कैसे ले लिया गया। अदालत ने अगली सुनवाई को होम सेक्रेटरी को कोर्ट में तलब किया है।
उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने सीबीआई द्वारा दायर चार्जशीट पर नाराजगी जाहिर करते हुए फटकार लगायी थी।
कोर्ट ने दुख भरे लहजे में कहा कि यह मामला ”मिस्ट्री अनएक्सप्लेन्ड” की ओर बढ़ रहा है। कोर्ट ने इस बात पर भी कड़ी नाराजगी जतायी कि शुरू से ही सीबीआई स्टीरियोटाइप रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर रही है और कोर्ट को अंधेरे में रख रही है।
उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई की सुबह पांच बजे धनबाद में सुबह की सैर पर निकले एडीजे उत्तम आनंद को एक ऑटो ने पीछे से आकर जोरदार टक्कर मारी थी। इस घटना में जज उत्तम आनंद की मौत हो गयी थी।
यह पूरी वारदात वहां लगे एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी, जिसकी फुटेज किसी साजिश की ओर इशारा कर रही थी।
सीसीटीवी फुटेज से साफ हुआ था कि जज उत्तम आनंद को जानबूझकर ऑटो से टक्कर मारकर हत्या की गयी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया था। हाई कोर्ट इस मामले की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है।
झारखंड पुलिस द्वारा प्रारंभिक दौर में इस मामले की जांच की जा रही थी। इसके बाद सीबीआई ने इस केस को ले लिया है। सीबीआई की टीम लगातार इस मामले में अपनी जांच कर रही है।