न्यूज़ अरोमा रामगढ़: जिले में नेशनल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आवाह्न पर चिकित्सक पूरी तरीके से हड़ताल पर रहे।
सरकारी अस्पताल हो या निजी क्लीनिक, वहां मरीजों का इलाज नहीं हो सका।
दोनों स्थानों पर सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही चालू थी।
चिकित्सकों की हड़ताल का असर सभी स्थानों पर देखने को मिला।
मरीज बैरन अस्पताल से लौटे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के रामगढ़ जिला शाखा के अध्यक्ष डॉ शंकर प्रसाद ने बताया कि आयुष मंत्रालय एवं संबंधित सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंटरनल मेडिसिन ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है।
जिसमें आयुर्वेदिक पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सक को 58 विभिन्न सर्जरी करने को अधिकृत किया जाना है।
क्या आयुष मंत्रालय को आधुनिक चिकित्सा पद्धति से संबंधित नोटिफिकेशन जारी करने का अधिकार है।
नेशनल मेडिकल काउंसिल आधुनिक चिकित्सा पद्धति का रेगुलेटरी बॉडी है।
इसके गाइडलाइन के अनुसार एक चिकित्सक एमबीबीएस की पढ़ाई 4.5 साल में पूरा करता है। उसके बाद 1 साल का कंपलसरी इंटर्नशिप करना होता है।
फिर 3 वर्षों में एमएस की डिग्री मिलती है। तब जाकर मानव शरीर पर जनरल सर्जरी करने का अधिकार मिलता है।
सुपर स्पेशलाइज विषयों पर जैसे कैंसर की सर्जरी, यूरोलॉजी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, प्लास्टिक सर्जरी इन सब का ऑपरेशन करने के लिए फिर से एमसीएच की डिग्री लेनी होती है।
यानी कुल मिलाकर मेडिकल कॉलेज में 11-12 साल का एवं मेडिकल अस्पताल में 5 से 6 साल की गहन स्टडी करनी होती है। प्रैक्टिकल करना होता है।
इन सबों की जानकारी होने के बावजूद नेशनल मेडिकल कमिशन, आयुष मंत्रालय के इस नोटिफिकेशन पर खामोश है।
आयुष मंत्रालय के इस नोटिफिकेशन का एनएमसी द्वारा विरोध नहीं किया जाना, भारत के 130 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
एनएमसी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए अन्यथा उनके होने का कोई औचित्य नहीं है।
उपाध्यक्ष डॉ ठाकुर मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन मांग करती है कि आयुष मंत्रालय द्वारा निर्गत नोटिफिकेशन वापस लिया जाए, नीति आयोग के चारों कमेटी को वापस लिया जाए, नेशनल मेडिकल काउंसिल अपनी जिम्मेदारी समझे और स्वास्थ्य मंत्री देश की जनता के स्वास्थ्य के प्रति गंभीर हों।
मिशन पिंक हेल्थ की नेशनल सेक्रेटरी डॉक्टर सांत्वना शरण ने कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पुराने चिकित्सा पद्धति का सम्मान करता है।
यह हमारे भारतवर्ष की पहचान है। इस नोटिफिकेशन से आयुर्वेदिक चिकित्सा के विलुप्त हो जाने की संभावना है।
सरकार को एवं मंत्रालय को चाहिए कि आयुर्वेदिक चिकित्सा से संबंधित मेडिकल कॉलेज खोले जाएं और सारे इंतजाम किया जाएं।
जिससे आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति और मजबूत होगी।